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ये वो साहित्यकार है जो दादरी पर प्रेस कांफ्रेंस कर अवार्ड वापस कर रहे थे, बंगाल पर चुप है


दोगलेपन, देशद्रोह और मक्कारी का भारत के सेक्युलरों से चोली दामन का साथ है 
भारत के सेक्युलर चाहे वो जवाहरलाल नेहरू हो, या हो मोहनदास गाँधी 
इन लोगों ने भारत का जितना नुक्सान किया है उतना इस्लामिक हमलावरों और अंग्रेजो ने भी कदाचित नहीं किया 

आप जो ऊपर ये तस्वीर देख रहे है, ये 6 कथित साहित्यकार है जिन्हें कांग्रेस के सरकारों के वक़्त अलग अलग अवार्ड दिए गए थे 

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दादरी में अख़लाक़ मारा गया और ये साहित्यकार इतने दुखी हुए 
की भारत को असहिष्णु और खतरनाक देश बताते हुए प्रेस कांफ्रेंस कर अपने अवार्ड की फोटो खिंचवाते हुए उसे वापस कर रहे थे 
इन लोगों ने अवार्ड वापसी का ऐलान तो किया किया, पर अवार्ड के साथ जो रकम इनको इनाम के तौर पर मिली थी, उसमे से 1 रुपए भी वापस नहीं किये, खैर 

अभी पश्चिम बंगाल जल रहा है, वहां 1 नहीं बल्कि सैंकड़ो घर उजाड़ दिए गए, कत्लेआम और बलात्कार की तो गिनती भी नहीं हुई अबतक 
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दुकाने हो, घर हो लुटे गए और जलाये गए, और कोई 1-2 नहीं बल्कि 2016 में 350 से ज्यादा दंगे पश्चिम बंगाल में हो चुके है, जिस तरह यूपी का दादरी भारत का हिस्सा है उसी तरह पश्चिम बंगाल भी भारत में ही आता है 

पर ये अवार्ड वापसी करने वाले कथित साहित्यकार, लेखक और बड़े बड़े बुद्धिजीवी अपने अपने मुँह में दही जमाये बैठे है, इन लोगों से पश्चिम बंगाल पर प्रेस कांफ्रेंस नहीं हो रहा 
और देश के हिन्दुओ को इन दोगलों के दोगलेपन और दरिंदगी को, अपने मस्तिष्क में हमेशा के लिए नोट कर लेनी चाहिए 
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