पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही एकमात्र ऐसी व्यक्ति है जो मोदी सरकार द्वारा लिए गये सभी निर्णयों के खिलाफ विरोध करती है और खुले तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना भी करती है . फिर चाहे वो मोदी जी की नोतेबंदी का फैसला हो या पश्चिम बंगाल में भारतीय सेना की तैनाती को लेकर किया गया कोई फैसला वह किसी भी फैसले को विवाद बनाने में देर नही करती है खैर उनके इन विवादों से वैसे किसी पर कोई असर नही पड़ता .
अब, तृणमूल कांग्रेस के नेता पश्चिम बंगाल दंगों की बिगड़ती स्थिति को अनदेखा कर रहे है ताकि इस मुद्दे को और ज्यादा बढ़ा कर वे सुर्खियों में बने रहे .
पश्चिम बंगाल इतने दिनों से दंगो की आग में जल रहा है और स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है . वहां के मुस्लिमो ने हिन्दुओ को जीना मुश्किल किया हुआ है हिन्दुओ से लूटपाट की जा रही है उन्हें मारा पीटा जा रहा है . हैरानी वाली बात तो यह है कि अब राहुल गाँधी, अखिलेश यादव, अरविन्द केजरीवाल और मायावती जैसे लोगो ने भी इस मामले में चुप्पी सधी हुई है . खुद को दलितों का मसीहा बताने वाले ये लोग आखिर अब क्यों नही बोल रहे . और ममता जी जो हर बात पे अपने बयानों से सुर्ख़ियों में छाई रहती है अब इस मामले में कुछ बोल क्यों नही रही है ?
बता दें कि ममता बेनर्जी की सरकार में हिंदु स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और सरकार की उनकी सुरक्षा में कुछ सख्त कार्रवाई करने के लिए इंतजार कर रहे हैं .
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