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अब मोदी सरकार की मेडिकल क्षेत्र से भ्रष्टाचार दूर करने की कवायद शुरू !!


नोटबंदी के बाद मोदी सरकार की स्वास्थ्य क्षेत्र को ठीक करना अगली प्राथमिकता. मोदी सरकार इस समय देशवासियों की सेहत को लेकर ज्यादा चोकस है. आपको बता दे कि लम्बे प्रयास के बाद भारत को नवजात बच्चों में होने वाले टिटनेस और याव्ज बीमारी से मुक्ति मिल गयी है. सरकार ने रोटावायरस का टीका शुरू किया ताकि बच्चों में उल्टी-दस्त जैसी समस्याएं ना हों. टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार गठन की शुरुआत में ही एक इंद्रधनुष नाम का कार्यक्रम शुरू किया था.

और इस साल मोदी सरकार ने मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार की रोकधाम के लिए एक समिति गठित की. इस समिति ने प्रस्ताव रखा है कि एमसीआइ की मौजूदा व्यवस्था को खत्म कर दिया जाए और नई व्यवस्था लाई जाएँ. इसके अलावा स्वास्थ्य क्षेत्र में दो अहम बदलाव भी हुए. इन दो बदलावों में मेडिकल दाखिले के लिए साझा प्रवेश परीक्षा और तंबाकू उत्पादों पर पैकिंग के 85 फीसद हिस्से में सचित्र चेतावनी छापना शामिल है. इस बदलाव के दौरान मोदीजी ने सभी प्राइवेट डॉक्टरों से अपील की कि सभी डॉक्टर महीने में एक दिन गर्भवती महिलाओं की जांच व इलाज के कार्यक्रम में शामिल हो.
फिर स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान शुरू किया. इस अभियान के चलते हर महीने तीन-चार हजार प्राइवेट डॉक्टरों केने एक दिन अपनी मुफ्त सर्विस देने की सहमति दी. सरकार का अगला कार्यक्रम कुपोषण से लड़ने के लिए होगा. आपको बात दे कि भारत में पांच साल से कम उम्र के 39 फीसद बच्चे कुपोषण के कारण ठिगने रह जाते है. केंद्र सरकार ने युवाओं को नशे लत को देखते हुए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान भी शुरू किया है. सरकार ने दिव्यांगों के लिए भी सरकारी इमारतों और स्टेशनों आदि को सुगम व सुरक्षित बनाने का अभियान शुरू किया है.
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