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मोदी के कारण बलूचिस्तान ने भरी हुंकार , जान बचाकर भागा हाफिज सईद !


15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार अपने भाषण में बलूचिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों के दुख का जिक्र किया . उस समय ही साफ हो गया था कि मोदी सरकार की नीतियों में बलूचिस्तान अहम मुद्दा है . बलूचिस्तान में जिस तरह से आजादी के लिए आंदोलन चल रहे हैं उनको मोदी जी के भाषण के बाद काफी बल मिला जिससे बलूच लोग पाकिस्तान के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने लगे और भारत के पास भी पाकिस्तान को घेरने के लिए सॉलिड मुद्दा मिल गया .

दरअसल बलूचिस्तान में एक जगह हाफिज सईद रैली के लिए गया था . इन रैलियों के जरिए उसका मकसद बलूचिस्तान में भारत विरोधी माहौल तैयार करना था परन्तु 15 अगस्त को मोदी के भाषण के बाद से वहां के निवासी अब बेखौफ हो गए हैं . इसका असर हाफिज सईद की रैलियों में भी देखने को मिला . बता दें कि उसकी हर रैली बुरी तरह से फ्लॉप रही . यहां तक की उस पर पत्थरों से हमला भी हुआ . जिसके बाद वो अपनी जान बचाकर भागा .

21 दिसंबर को बलूचिस्तान में हाफिज सईद ने एक बड़ी रैली की योजना बनाई और वहां हाफिज भारत के खिलाफ जहर उगलने वाला था लेकिन रैली में केवल कुछ लोग आए . यह देखकर हाफिज  बहुत हैरान हुआ . बता दें कि पाकिस्तान वहां पर माहौल खराब करने की कोशिश कर रहा है . हाफिज की रैली के लिए पाक ने बलूच के राष्ट्रवादी नेता नवाब अकबर खां बुगती के चचेरे भाई शहजान बुगती को जिम्मेदारी दी थी लेकिन इस साजिश को बलूच लोगों ने फ्लॉप कर दिया और दिखा दिया कि वो आतंकियों से डरने वाले नहीं है .


बलूचिस्तान में हाफिज की रैली का फ्लॉप होना यह दर्शाता है कि वहां पर पाक की पकड़ कमजोर हो गयी है . बता दें कि बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए काफी अहम है . वहां पर चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर बन रहा है . जिसका बलूच लोग भी विरोध कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तानी सेना उनके विरोध को दबा रही है . कहा जा रहा है कि बलूचिस्तान में हाफिज की रैली फ्लॉप होने के बाद उस पर हमला भी हुआ था . जिससे अब उसने तौबा कर ली है कि वो दोबारा यहां नहीं आएगा .
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