एक समय था जब भारत में पत्तल में भोजन खाने की परंपरा थी. शादी ब्याह में बड़े आदर सम्मान से पत्तल में भोजन कराया जाता था. 50-60 साल पहले सभी लोग धरती पर बैठकर दोने पत्तल में खाना खाते थे, पूरा परिवार एकत्रित होकर पत्तल में ही भोजन किया करता था. लेकिन जबसे ये मॉडर्न लोग भारत में आये है ये परंपरा जैसे गायब होती नजर आ रही है. पत्तल में खाने की प्रथा भारत से खत्म हो गयी है. पत्तल का नाम सुनते ही लोग कहते है ये तो गवारों के काम है. अगर कोई पत्तल में भोजन करता हुआ नजर आता है तो उसे गवार करार दिया जाता है.
भारत ने भले ही पत्तल को ठुकरा दिया हों, लेकिन आपको बता दे कि दुनिया के कई बड़े बड़े देश भारत की इस परंपरा को अपना रहे है. हम आप लोगों को एक विडियो दिखाते है, उस विडियो में आप देख सकते है कि यूरोप का सबसा बड़ा देश जर्मनी पत्तल में भोजन की परंपरा अपना रहा है. जर्मनी में यह प्रथा इसलिए अपनाई जा रही है क्यूंकि डिस्पोजल बर्तन पर्यायवरण के लिएय हानिकारक होते है. डिस्पोजल के इस्तमाल से प्रकृति को भारी नुकसान होता है, लेकिन पत्तल कुछ ही दिनों में गल जाते है. पत्तल के इस्तमाल से भोजन का स्वाद भी दुगुना हो जाता है और प्रकृति का भी नुकसान नहीं होता है.
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