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रक्षा मंत्रालय के सेवानिवृत्त अधिकारी ने मोदी जी को लिखा ये पत्र इतना वायरल क्यूँ हो रहा है ?

1990 में मुझे रक्षा मंत्रालय में तैनात किया गया था . मैं एक संयुक्त सचिव था . मंत्रालय में मैं सबसे कम उम्र का अधिकारी था और मुझे काम दिया गया सेना से संबंधित सभी वाणिज्यिक लेनदेन का हिसाब रखने का . एक अधिकारी के रूप में मेरा मेरा बजट सबसे बड़ा था . अचानक मैंने पाया कि कई शक्तिशाली व्यापारियों ने बिज़नेस और राजनीती की दुनिया में अपने पैर फैला रखे है, लेकिन उनमे से कोई नहीं जानता कि उन्होंने इतना पैसा और शक्ति कहा से और कैसे हासिल की . मैंने ये सब त्याग दिया . मैं जिमखाना क्लब में शामिल नहीं हुआ ताकि मैं इस तरह के लोगों से सामाजिक रूप से ना जुड़ सकू .
बहार खाने के या पार्टी करने के ना तो मेरे पास इतने पैसे थे और ना ही इतना समय . एक शाम को मैं अपने रिश्तेदार के घर गया वहा एक बड़े व्यापारी से मिलना पड़ा . हमारे बीच छोटी सी वार्तालाप हुई . मैंने अपने काम का अनुभव उस व्यक्ति को बताया . मैंने अपनी साड़ी गाथा उस व्यक्ति को सुनाई, अपनी तनख्वाह के बारे में बताया, एक घर तक मुझे नहीं मिला हुआ ये भी बताया . दिल्ली में आने के बाद महंगे फल या नए जोड़ी जूते लेना भी बहुत मुश्किल होता था .
आप शेयरों में निवेश क्यों नहीं कर लेते ? आपको बहुत ही सभ्य आय प्राप्त होगी . तीन महीने बाद मैं उस व्यक्ति से दोबारा उसी रिश्तेदार के घर पर मिला . वो मुझे एक तरफ ले गया और बोला मुझे तुमसे बहुत जरुरी बात करनी है, तब उस व्यापारी ने मुझे बताया की उसने मेरे नाम पर कुछ शेयर खरीद लिए है . इस शेयर की मार्किट वैल्यू आसमान छु रही थी . मैं बहुत ज्यादा डर गया . मैंने उस व्यापारी को कहा मैंने आपको ऐसा करने के लिए कभी नहीं कहा फिर आपने यह क्यों किया .
व्यापारी ने कहा तुमने कहा था तुम्हारे पास पैसे नहीं है तो मैंने खुद तुम्हारे लिए ये रास्ता चुना . इस शेयर का मूल्य 10 गुना बढ़ चूका है . मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है . इससे तुम हमारी दोस्ती का तोहफा समझकर रख लो . मैं कुछ बोल नहीं सका, मुझे गुस्सा आ रहा था . मै अपने रिश्तेदार के पास चला गया . तब उस रिश्तेदार ने मुझसे पूछा तुम इतने परेशान क्यूँ हो . मैंने अपने रिश्तेदार को बताया कैसे दोस्ती का झासा देकर वो व्यापारी मुझे मुर्ख बनाने की कोशिश कर रहा है .
तबसे मैंने उस रिश्तेदार से सारे रिश्ते तोड़ दिए . मेरे इस कदम से मेरे मेजबान को मेरी गंभीरता का एहसास हुआ . उस व्यापारी को भी अक्ल आ गयी और उसने मुझे परेशान करना छोड़ दिया .
इस पूरी कहानी में एक बात गौर करने वाली है कि भारत में भ्रष्टाचार कूट कूट कर भरा हुआ है, जब तक इस भ्रष्टाचार के लिए कुछ कड़े कानून नहीं लगाये जायेंगे तब तब यह भ्रष्टाचार रूपी दीमक ऐसे ही बढ़ती जायेगी . 
प्रधानमंत्री मोदी ने इस समस्या से निपटने के लिए सही वार किया है . मैं तो मोदीजी के साथ हूँ . 
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