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जाने BSF के बारें में - कैसे बीएसएफ देश के दुश्मनों से बॉर्डर की सुरक्षा करता है !

भारत और पाकिस्तान के बीच 3,323 किलोमीटर का बॉर्डर है और बांग्लादेश के साथ 4,095 किलोमीटर का. बॉर्डर से संबंधित घुसपैठ के कई किस्से आये दिन हमें सुनने को मिलते हैं. लेकिन शुक्र है बीएसएफ का जो जी-जान से हमारी सीमाओं की रक्षा करते हैं.  
इतने लम्बे बॉर्डर को सुरक्षित रखना आसान नहीं है. बहुत सारे खतरों से बीएसएफ के जवानों को झूझना पड़ता है. आज हम आपको बताएंगे कि कैसे बीएसएफ देश के दुश्मनों को बॉर्डर के इस पार आने से बचाता है.

1. 2 चौकियों के बीच 3.5 किलोमीटर की दूरी होती है और हर चौकी पर 35 जवान मुस्तैद रहते हैं.
अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर पर वॉचटावर बने हुए हैं जहां से दूरबीन की मदद से निगरानी रखी जाती है. इस बॉर्डर पर खासी रौशनी रहती है और जवानों को नाईट-विज़न गॉगल्स भी दिए हुए हैं जिसकी मदद वो 24 घंटे गश्त लगाते रहते हैं.



2. कच्छ की दलदली ज़मीन पर जवान होवरक्राफ्ट और नावों से गश्त लगाते हैं और राजस्थान के रेगिस्तान में ऊंट, जीप और पैदल चल कर बॉर्डर की निगरानी करते हैं. जम्मू-कश्मीर में बीएसएफ के जवान आर्मी की गाड़ियों में और पैदल चल कर सरहद को महफूज़ रखते हैं.



3. जब जवान किसी अनजान इंसान को घुसपैठ करते हुए देखते हैं तो पहले चेतावनी देते हैं, लेकिन गोली नहीं चलाते. अगर वो इंसान फिर भी नहीं सुने तो सिर्फ़ घायल करने की मंशा से गोली चलाते हैं. इसके बाद अगर घुसपैठिया हमला कर दे तो बीएसएफ के जवान पुरज़ोर तरीके से वार करते हैं.



4. गोलीबारी का निर्णय स्थिति पर निर्भर करता है. घुसपैठ के समय आर्डर का इंतज़ार नहीं किया जाता. एक बात और, भारत कभी हमले की पहल नहीं करता है.



5. वैसे तो बॉर्डर पर गश्त बहुत ही सख़्ती से होती है, लेकिन कई बार घुसपैठिये सीमा पार करने में सफल हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में जवान पैरों के निशान ढूंढते हैं. दलदल और रेगिस्तान में पदचिन्ह आसानी से दिख जाते हैं, लेकिन कश्मीर की बर्फ़ में निशान ढूंढना थोड़ा मुश्किल होता है.



6. कई बार हम न्यूज़ में देखते हैं कि भारत और पाकिस्तान के वरिष्ठ अफ़सरों के बीच फ्लैग मीटिंग होने वाली है. तो आखिर इसका मतलब क्या है?


मान लीजिये की भारत ने फ्लैग मीटिंग आयोजित की है. तो एक भारतीय जवान पाकिस्तान से सटे बॉर्डर पिलर से सफ़ेद झंडा फहराएगा. दूसरी तरफ से पाकिस्तानी जवान अपनी बटालियन का झंडा ऊपर करेगा. दोनों जवानों के बीच संदेशों का अदान-प्रदान होता है जिन्हें वो अपने कमांडर तक ले कर जाते हैं. इसके बाद दोनों देशों के कमांडर एक निष्पक्ष जगह पर मिलते हैं.


बीएसएफ के पास अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र और कम्युनिकेशन सिस्टम हैं, जिनकी मदद से वो देश की सरहद की पहरेदारी कर पाते हैं. इन जवानों के हौसले और निपुणता की बदौलत हम अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं. ग़ज़बपोस्ट की तरफ से बीएसएफ को सलाम.
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