पुदिना सेहत के लिए तो अच्छा होता ही है ये गर्मी के मौसम में आपको कई बड़ी बीमारियों से भी बचाता है। मौसम की मांग के चलते पुदिना मार्केट में बहुत ही महंगे भाव में मिल रहा है।
पुदिना खाने का जायका बढाता है और पेट के लिए ठंडा होता है। पुदिना को जरूर खाना चाहिये क्यों कि यह पौष्टिकता से भरी होती है। आयुर्वेद के अनुसार पुदीना रूचिवर्ध्दक, स्वादिष्ट, सुगंधित, दिल के लिये फायदेमंद रूखा, तीखा, वात व कफ के विकार को दूर करने वाला, खांसी व नशा नाशक, पाचन शक्ति
की कमजोरी, बदहजमी, आफरा, पेट दर्द, अतिसार, संग्रहणी, हैजा, पुराना बुखार और कृमिनाशक होता है। हिन्दी में इसे पुदीना, संस्कृत में पूतिहा, अंग्रेजी में स्पिअर मिण्ट, लैटिन में मेन्था स्पाइकेटा, गुजराती में फुदीनो, मराठी में पुदिना, बंगला में पोदीना, तमिल में पुदीना, पारसी में पुदिन नाम से जाना जाता है।
पुदीने का प्रयोग पुरातन काल से होता आ रहा है। भोजन में पुदीने की जितनी उपयोगिता है, उतनी दूसरी शाक सब्जी या फल की नहीं है। चाहे शर्बत तैयार करना हो, महकदार चटनी का जायका लेना हो अथवा कढ़ी में भी महकदार पैदा करनी हो, रायता, छाछ, केरी का पानी हो इन सभी में पोदीने को डालकर जायकेदार
बनाया जा सकता है। पुदीने से तमाम शारीरिक शिकार भी समाप्त हो जाते हैं। यदि लगातार पुदीने का प्रयोग किया जाता है, तो काया में व्याधि होने की सम्भावना भी कम हो जाती है। पुदीना अपनी सुगंध, खुशबू के लिए संसार में सर्वोपरि मान गया है। च्युंगम, मुखशुध्दि पेय तथा दंत पेस्ट आदि बनाने वाली सभी कम्पनियां किसी न किसी रूप में थोड़ी या अधिक मात्रा में पुदीने के रस का प्रयोग करती है। कहा जाता है कि पुदीने की पत्ती मुंह में रखकर चूसते रहना अमृत जैसा है। पुदीना विटामिन ‘ए’ की खान है। पुदीने में जितने विटामिन पाये जाते हैं!
पुदिना खाने का जायका बढाता है और पेट के लिए ठंडा होता है। पुदिना को जरूर खाना चाहिये क्यों कि यह पौष्टिकता से भरी होती है। आयुर्वेद के अनुसार पुदीना रूचिवर्ध्दक, स्वादिष्ट, सुगंधित, दिल के लिये फायदेमंद रूखा, तीखा, वात व कफ के विकार को दूर करने वाला, खांसी व नशा नाशक, पाचन शक्ति
की कमजोरी, बदहजमी, आफरा, पेट दर्द, अतिसार, संग्रहणी, हैजा, पुराना बुखार और कृमिनाशक होता है। हिन्दी में इसे पुदीना, संस्कृत में पूतिहा, अंग्रेजी में स्पिअर मिण्ट, लैटिन में मेन्था स्पाइकेटा, गुजराती में फुदीनो, मराठी में पुदिना, बंगला में पोदीना, तमिल में पुदीना, पारसी में पुदिन नाम से जाना जाता है।
पुदीने का प्रयोग पुरातन काल से होता आ रहा है। भोजन में पुदीने की जितनी उपयोगिता है, उतनी दूसरी शाक सब्जी या फल की नहीं है। चाहे शर्बत तैयार करना हो, महकदार चटनी का जायका लेना हो अथवा कढ़ी में भी महकदार पैदा करनी हो, रायता, छाछ, केरी का पानी हो इन सभी में पोदीने को डालकर जायकेदार
बनाया जा सकता है। पुदीने से तमाम शारीरिक शिकार भी समाप्त हो जाते हैं। यदि लगातार पुदीने का प्रयोग किया जाता है, तो काया में व्याधि होने की सम्भावना भी कम हो जाती है। पुदीना अपनी सुगंध, खुशबू के लिए संसार में सर्वोपरि मान गया है। च्युंगम, मुखशुध्दि पेय तथा दंत पेस्ट आदि बनाने वाली सभी कम्पनियां किसी न किसी रूप में थोड़ी या अधिक मात्रा में पुदीने के रस का प्रयोग करती है। कहा जाता है कि पुदीने की पत्ती मुंह में रखकर चूसते रहना अमृत जैसा है। पुदीना विटामिन ‘ए’ की खान है। पुदीने में जितने विटामिन पाये जाते हैं!
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