भगवान तिरुपति बालाजी के बारे में कौन नहीं जानता हैं। भगवान तिरुपति बालाजी अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में निवास करते हैं। ऐसे कहा जाता है कि यदि कोई भक्त कुछ भी सच्चे दिल से मांगता है, तो भगवान उसकी सारी मुरादें पूरी करते । तिरुपति बालाजी मंदिर जितना अधिक अपनी अमीर होने के कारण प्रसिद्ध है।
कैसे हुई इस परम्परा की शुरुआत:
तिरुपति बाला जी में मिलने वाला लड्डू एक ऐसा लड्डू हैं। जो दुनिया में कहीं और नहीं मिल सकता हैं। इस लड्डू को यहां पर श्रीवारी लड्डू के नाम से जाना जाता हैं। इस लड्डू के बारें में माना जाता है कि श्री वेंकटेश्वर के दर्शन के बाद उनके प्रिय भोग तिरुपति लड्डू लिए बिना दर्शन अधूरा रह जाता है।
इसको ग्रहण किए बगैर आपका दर्शन अधूरा माना जाता हैं। सबसे पहले इस पंरपरा की शुरुआत 2 अगस्त 1715 में शुरू की गई। इसके बाद यह लगातार जारी रही और पिछले 2 अगस्त को इसने 300वें साल में प्रवेश किया। साल 2014 में करीब 9 करोड़ लड्डू श्रद्धालुओं में बांटे गए।
बेसन, चीनी, घी, इलायची औऱ खूब सारे सूखे मेवे डालकर इन प्रसिद्ध लड्डूओं को बनाय़ा जाता हैं। इस मंदिर में रोजाना कम से कम 1.25 लाख लड्डू तैयार किए जाते हैं।
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