नई दिल्ली। यूएस में एक ऐसी मशीन बन रही है जिसके माध्यम से बातचीत करने पर यह जानकारी प्राप्त हो जाएगी कि आपको न्यूरॉलजिकल और काग्निटिव डिजीज तो नहीं है। लम्बे समय से लगातार ऐसे मेडिकल केस सामने आ रहे हैं, जिनमें बीमारी क्रॉनिक हो जाने के बाद उसके बारे में सही-सही जानकारी हासिल करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इससे मरीज को सही इलाज नहीं मिल पाता है। इस तकनीक से मरीज की बीमारी के लक्षणों को समझकर वे मरीज का बेहतर इलाज कर पाएगें।
फिलहाल यह मशीन टेस्टिंग प्रक्रिया से गुजर रही है। इस सेटअप के जरिए कंज्यूमर सर्विंग स्टाफ और कंज्यूमर के बीच हुई बातचीत पर स्टडी की जा रही है। एक्सपट्र्स रियल टाइम कॉन्वरसेशन पर फोकस कर रहे हैं। मशीन का लर्निंग सॉफ्टवेयर अपने डेटाबेस के आधार पर नई बातचीत की तुलना पुरानी बातचीत से करता है।
स्टडी का एक खास बिन्दू इमोशल इंटेलजन्स है। इसके जरिए आगे बढ़ रही बातचीत के आधार पर यह जानने के प्रयासकिया जा रहे है कि किसी तरीके से सलाह दे गाइडेंस देने का सही तरीका क्या हैं। कि सही तरीके से सलाह कैसे दी जाए और गाइडेंस देने का सही तरीका क्या है, ताकि सर्विस प्रवाइडर की टोन या लहजे में सुधार की सलाह दी जा सके। जिन जगहों पर अब तक स्टडी की गई है, वहां जरूरी सुधार के बाद कंज्यूमर की संतुष्टि 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
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