उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश लेने में बहुत ही सावधानी बरत रहे हैँ। माना जा रहा है कि श्री रावत नवरात्र के दौरान मुख्यमंत्री आवास में शिफ्ट कर सकते हैं, लेकिन उसके पहले दिल्ली के कई वास्तुशास्त्री आवास का निरीक्षण कर के उसमें बदलाव करेंगे।

दरअसल, ये मात्र संयोग है या फिर समय का फेर, जो भी मुख्यमंत्री न्यू कैंट रोड स्थित नए मुख्यमंत्री आवास में रहने आया, वह ज्यादा दिन कुर्सी पर टिक नही पाया।। इसी मिथक के चलते पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस आवास में रहने नहीं आये। नए मुख्यमंत्री इसी मिथक को वास्तुशास्त्र के जरिये तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

दरअसल, राज्य गठन से पहले यहाँ राज्य अतिथि गृह हुआ करता था और बाद में इसे मुख्यमंत्री आवास में तब्दील कर दिया गया। केवल उत्तराखंड की पहली निर्वाचित सरकार में मुख्यमंत्री बने नारायण दत्त तिवारी ही यहाँ पुरे पांच साल रह सके हैं। इसके बाद पुराने भवन को गिराकर नया भवन बनाया गया जो 2007 में बी.सी. खंडूरी के समय में पूरा हुआ। उसके बाद मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इसे नए सिरे से संवारा और इसे अपना आवास बनाया लेकिन वो भी बहुत समय तक कुर्सी का आनंद नही उठा पाये। इसके बाद जो भी आया वो सबको सत्ता से हाथ धोना पड़ा। हालाँकि पूर्व मुख्यमंत्री बी. सी. खंडूरी इसके अपवाद भी हैं। उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल इस आवास से दूरी बनाई और इसे केवल कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया फिर भी 2012 के चुनाव में भाजपा को सत्ता गंवानी पड़ी।
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