जब इस देश को आज़ादी मिल रही थी, इस देश के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है, और इस देश के साथ बहुत बड़ी गद्दारी हुई. जो बेसिक सवाल हमको उठाने चाहिए थे, मेरे पुरखो ने शायद नहीं उठाए, और क्यों नहीं उठाए, उसके बारे में हमको विशलेषण कर लेना चाहिए, जो लोग इस देश की सत्ता की तरफ लपलपाती जीभ ले कर खड़े हुए थे, वो लोग कौन थे? पंडित जवाहरलाल नेहरु, कौन थें पंडित जवाहरलाल?
हिंदुस्तान का सबसे ऐयाश व्यक्ति, जिसको इस देश का पहला प्रधानमंत्री बनने का गौरव मिला, वो मेरे लिए दुर्भाग्य था. और वो आदमी इस हद तक ऐयाश था कि एक औरत दो, और उससे जो चाहे करवा लो, लार्ड माउन्ट बैटन ने अपनी बीबी का इस्तेमाल पंडित नेहरु के लिए किया. और ये बात अब एक ओपन सीक्रेट है. दशीयो किताबे आपको मिल जाएंगी, जिनको आप पढें तो आपको पता चल जाएगा कि पंडित नेहरु किस किस्म का व्यक्ति था.
और पंडित नेहरु के बारे में ब्रिटिश पार्लियामेंट में जब डिबेट चलता था तो वो डिबेट क्या होता था उसको समझिये, एक बार एक विलियम बिल्बर्ड फोर्ट नाम का एक ऍम. पी. था उसने पंडित नेहरु के बारे में एक स्टेटमेंट किया अपने पार्लियामेंट में, इंग्लैंड पार्लियामेंट में, उसने कहा कि पंडित नेहरु शरीर से देखने में हिन्दुस्तानी है, लेकिन दिमाग से १०० प्रतिशत खरा अंग्रेज है इसलिए इसके हाँथ में सत्ता दो, बिलकुल सुरक्षित है. और उसने वो भी माना.
ऐसे आदमी के हाँथ में सत्ता दी गई और वो सत्ता देने का नाटक चला, और उस आदमी के हाँथ में सत्ता देने के लिए ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर के बहुत सारे अग्रीमेंट हुए, उनमे से दो – तीन अग्रीमेंट महत्वपूर्ण है जो समझने चाहिए, हिंदुस्तान में १९४७ तक अंग्रेजो की १२७ कम्पनिया काम कर रही थी. लार्ड माउन्ट बैटन को चिंता ये थी कि अगर हिन्दुस्तानी आजाद होने के बाद सारी अंग्रेजी कम्पनियों को हिंदुस्तान से भगा देंगे तो ये जो लूट हो रही है, ये जो सम्पत्ति मिल रही है, ये जो पैसा आ रहा है ये बंद हो जाएगा.
तो पंडित नेहरु के साथ लार्ड माउन्ट बैटन की चर्चा हुई, और पंडित नेहरु ने कहा कि आप चिंता मत करिए, हम अंग्रेजो की एक कंपनी को भगाएँगे, ईस्ट इंडिया कंपनी को बाकि १२६ कम्पनियों को हिंदुस्तान में रख लेंगे. ईस्ट इंडिया कंपनी को भागना इसलिए जरूरी है क्योकि सारे देश में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ माहौल बना हुआ है. इसलिए सिर्फ ईस्ट इंडिया कंपनी को विदा कर दो, बाकि जो अंग्रेजी कम्पनिया है उनको हम रख लेंगे, और उनमे से एक दो नाम मै आपको बता दू जिनको पंडित नेहरु ने जाने नहीं दिया, ब्रूक बांड इंडिया लिमिटेड, ये अंग्रेजो की कंपनी है, आज की नहीं है. सन १८९० की है. लिप्टन इंडिया लिमिटेड, ये अंग्रेजो की कंपनी है, आज की नहीं है. सन १८९२ की है. आज से १०० साल १५० साल पहले की कंपनी है. और ऐसी १२६ कम्पनियों को पंडित नेहरु ने बाकायदा ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर की अग्रीमेंट कर के अंग्रेजो की कम्पनियों को रखा. तो आज़ादी का मतलब क्या था? ईस्ट इंडिया कंपनी भगा देंगे, और बाकि अंग्रेजी कम्पनिया जो इस देश को लुट रही है उसको नही भगाएँगे ?
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