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बरखा दत्त जैसे सेक्युलर तत्वों का DNA तक घिनोना हो चुका है, ये अंदर तक दोगले है



गन्दी मीडिया के गंदे लोग जानवरो के गैर क़ानूनी कत्लेआम के समर्थन में उतर चुके है 
कल गन्दी मीडिया ने टुंडे कबाब का मुद्दा बना दिया 
"योगी राज के कारण जानवरों का मांस नहीं मिल पा रहा इसलिए टुंडे कबाब 1 घंटे के लिए बंद करना पड़ा"

बाप से कितना बड़ा मुद्दा बन गया, मीडिया वालो को मांस नहीं मिल रहा खाने को 

नोट करना शुरू कीजिये 

* 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने ही यूपी की अखिलेश सरकार को आदेश दिया था की, यूपी में सारे गैर क़ानूनी कत्लखाने बंद किए जाये, सरकार ने मुस्लिम वोटबैंक के लिए आदेश का पालन ही नहीं किया 
योगी सरकार आयी, और "गैर क़ानूनी" कत्लखानो को बंद किया 

"गैर क़ानूनी" काम को बंद न किया जाये तो चलने दिया जाये, पहली चीज तो ये 

* दूसरी चीज ये की, ये वही मीडिया वाले है, बरखा दत्त सरीखे लोग 
जो कुछ दिनों पहले जलीकट्टू नामक खेल का विरोध कर रहे है, बता रहे थे की ये जानवरों पर घोर अत्याचार है, मानव अपने मनोरंजन के लिए जानवर पर अत्याचार कर रहा है, ये सभी लोग विदेशी संस्था पेटा के समर्थन में उतर गए 

आज जब योगी सरकार जानवरो के कत्लेआम पर रोक लगा रही है, तो यही जानवर प्रेमी सेक्युलर तत्व 
जानवरो के मांस से बने टुंडे कबाब को मिस करने लगे 

ये गंदे पत्रकार गन्दगी फ़ैलाने के लिए ही देश में पैदा हो गए, ये ऊपर से ही नहीं बल्कि अंदर से भी इतने दोगले है की इंसान के रूप में ये हैवान हो चुके है, इनका डीएनए तक दोगलेपन से भरा हुआ है 

कल के जानवर प्रेमी आज जानवरो के कत्लेआम के समर्थन में आकर कत्लखानो का समर्थन कर रहे है 
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