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गुलामी नहीं सहेंगे, अब भी हमे गुलाम बनाएंगे तो हम मजहब को ठेंगा दिखाएंगे : तूबा नुसरत


तीन तलाक़ , बुर्क़ा प्रथा और मुस्लिम धर्म में मर्दों की मनमानी से औरतें और लड़कियाँ बेहद तंग आ चुकी हैं और अपनी इस तंगी का , जीवन की कटुता का इजहार अब वो खुलकर करने लगी हैं और सोशल मीडिया के ज़रिए मुखर हो रही हैं। 

इसी कड़ी में एक मुस्लिम लड़की की ये फ़ेस्बुक पोस्ट पढ़कर हर किसी को अहसास होगा कि हालात किस क़दर ख़राब हैं। नीचे उन्होंने जो लिखा है वो ज्यूँ का त्युं हम आपको पढ़वा रहे हैं ।

आपा एक गाना गुनगुनाया करतीं थीं, मेरी खाला अम्मी को आपा कहतीं थीं सो हम बहनें भी आपा ही कहने लगे, ख़ैर।

एक गाना मुझे बड़ा हौसला दिया करता था।

“इतनी नाज़ुक ना बनो, हाय इतनी नाज़ुक ना बनो, हद के अंदर हो नज़ाक़त तो अदा होती है, हद के बाहर हो तो आप अपनी सज़ा होती है” इसकी आगे की lines भी बेहद खूबसूरत और सीख देने वालीं हैं, आप ज़रूर सुनियेगा।

रफ़ी साब का ये गाना लड़कियों को ख़ासकर मुस्लिम्स को तो सुनना ही चाहिए जो क़ैद हैं, मजबूर हैं, बंदिशों में हैं, चाहे ट्रिपल तलाक़ के बोझ तले दबीं हों, या बुर्क़े में या फ़िर मज़हब के ठेकेदारों द्वारा तहज़ीब के नाम पर किये गए अत्याचार तले।

कह दो उनसे कि अब हम नाज़ुक नहीं रह गए, वे अगर हमें ग़ुलाम बनाएंगे तो हम भी उनके मज़हब को ठेंगा दिखायेंगे….

Proud to be an Indian & Sanatani which gives freedom and respect to every women

जय हिन्द

आपने पढ़ा अब उनकी इस पोस्ट का लिंक भी ज़रूर देख लें  ।

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