
नई दिल्ली(17 अप्रैल): पाकिस्तान में जासूसी का आरोप लगाकर भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को दी गई फांसी की सजा का भारत पुरजोर विरोध कर रहा है। अब इसका असर पाकिस्तान के दो बच्चों को रिहाई पर पड़ रहा है, जो भटकते हुए भारत की सीमा में दाखिल हो गए थे।
- दरअसल, पिछले साल 12 जुलाई को उनके घर में शाम को होने वाली शादी की तैयारी चल रही थी।
- मोहम्मद शहजाद ने अपने भतीजे बाबर अली (10) और अली रजा (11) को मोटर साइकिल पर बिठाया और दाहिआ खास के पास निकल कर रावी नदी के तट पर पंजाब की सीमा में दाखिल हो गए।
- शाहजाद की मां नसीम अख्तर ने बताया कि बच्चे भारत के साथ सीमा पर लगी रोशनी को चमकता देखकर उत्साहित हो गए थे। इस हफ्ते बाबर अली और अली रजा को पंजाब में जुवेनाइल ऑफेंडर फैसिलिटी से रिहा होना था।
- मगर, कुलभूषण के मुद्दे को लेकर भारत-पाकिस्तान के कूटनीतिक संबंध खराब हो गए हैं। ऐसे में नई दिल्ली को उन सभी कैदियों की रिहाई रोक दी है, जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली थी। इनमें दोनों बच्चों के साथ ही उनके चाचा भी शामिल हैं।
- अब होशियारपुर में एक रिमांड होम में उन्हें रखा गया है। बच्चों की रिहाई के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस मुद्दे पर पिछले सप्ताह विदेश सचिव एस जयशंकर और पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित के बीच चर्चा होनी थी। मगर, जाधव के मामले के कारण इस पर कोई बात नहीं हो पाई।
- उधर, बच्चों की मां नसीम अख्तर ने कहा कि मैंने सुना है कि भारत के विदेश मंत्री एक मां हैं। इसलिए मुझे लगता है है कि वह मुझे समझ पाएंगी। यहां तक कि भारतीय अदालतें भी जानते हैं कि हमारे बच्चे आतंकवादी नहीं हैं। उन्हें घर पर होना चाहिए, न कि जेल में। मैं उनसे अपील करती हूं, कृपया उन्हें घर वापस भेज दें।
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