
# अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शुक्रवार को अपने पहले विदेश दौरे के लिए रवाना हो गए. उनके इस दौरे पर सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि भारत समेत दुनिया भर की निगाहें टिकी हुई हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप को किसी तरह का कूटनीतिक अनुभव नहीं है यानी कूटनीति के मामले में ट्रंप नौसिखिया हैं.
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# इससे भी दिलचस्प बात यह है कि वह अपनी पहली विदेश यात्रा की शुरुआत मुस्लिम देश सऊदी अरब से कर रहे हैं. ट्रंप अपने आठ दिवसीय दौरे में सऊदी अरब के बाद इस्राइल, इटली और बेल्जियम समेत पांच देशों की यात्रा करेंगे. मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलने के अलावा सीरिया, सूडान, इराक, ईरान, सोमालिया, यमन और लीबिया के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाले ट्रंप के इस दौरे से दुनिया भर के इस्लामिक देश हैरान हैं.
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# व्हाइट हाउस का कहना है कि ट्रंप रियाद में इस्लाम पर प्रभावशाली स्पीच भी देंगे. रोनाल्ड रीगन के बाद से सभी राष्ट्रपति अपने पहले दौरे पर कनाडा या मैक्सिको गए, लेकिन ट्रंप मध्य पूर्व जा रहे हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि ट्रंप ने अपनी धाक जमाने के लिए कम प्रभावशाली देशों से अपने विदेशी दौरे की शुरुआत कर रहे हैं.
ट्रंप के पहले विदेशी दौरे के आधार पर भारत खोलेगा अपने पत्ते -
# भारत समेत दुनिया भर के लिए ट्रंप का पहला दौरा इसलिए भी अहम है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के इस दौरे से ही उनके दूसरे देशों के साथ भावी संबंध तय होंगे. भारत भी ट्रंप की इस यात्रा के बाद अमेरिका को लेकर अपनी रणनीति तय करेगा. भारत ट्रंप के पद संभालने के बाद से ही उनके कदमों पर गौर कर रहा है. हाल के दिनों में H1B वीजा को लेकर ट्रंप की सख्ती ने भारत की चिंता बढ़ा दी है. इसके अलावा ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति और मुस्लिम विरोधी कदमों ने भी दुनिया की चिंताएं बढ़ाई हैं.
# भारत समेत दुनिया भर के लिए ट्रंप का पहला दौरा इसलिए भी अहम है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के इस दौरे से ही उनके दूसरे देशों के साथ भावी संबंध तय होंगे. भारत भी ट्रंप की इस यात्रा के बाद अमेरिका को लेकर अपनी रणनीति तय करेगा. भारत ट्रंप के पद संभालने के बाद से ही उनके कदमों पर गौर कर रहा है. हाल के दिनों में H1B वीजा को लेकर ट्रंप की सख्ती ने भारत की चिंता बढ़ा दी है. इसके अलावा ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति और मुस्लिम विरोधी कदमों ने भी दुनिया की चिंताएं बढ़ाई हैं.
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ट्रंप की मामूली गलती का खामियाजा भुगतेगा अमेरिका -
# विशेषज्ञों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप को विदेश नीति और कूटनीति का कोई अनुभव नहीं है. ऐसे में उनसे कूटनीति संबंधों को बेहतर बनाने की उम्मीद करना बेमानी साबित हो सकती है. यह भी कहा जा रहा है कि ट्रंप इन देशों के प्रमुखों से मुलाकात, वार्ता और डिनर करेंगे. ऐसे में ट्रंप की मामूली सी गलती अमेरिका के इन देशों से रिश्ते खराब कर सकती है, जिसका खामियाजा अमेरिका को ही भुगतना पड़ेगा. इसकी एक वजह यह भी है कि घरेलू राजनीति के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय कुटनीति बेहद पेंचीदी होती है. अगर सत्ता में आने के बाद से ट्रंप के चाल-चलन पर गौर किया जाए, तो वह विवादों में ही रहे हैं.
# विशेषज्ञों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप को विदेश नीति और कूटनीति का कोई अनुभव नहीं है. ऐसे में उनसे कूटनीति संबंधों को बेहतर बनाने की उम्मीद करना बेमानी साबित हो सकती है. यह भी कहा जा रहा है कि ट्रंप इन देशों के प्रमुखों से मुलाकात, वार्ता और डिनर करेंगे. ऐसे में ट्रंप की मामूली सी गलती अमेरिका के इन देशों से रिश्ते खराब कर सकती है, जिसका खामियाजा अमेरिका को ही भुगतना पड़ेगा. इसकी एक वजह यह भी है कि घरेलू राजनीति के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय कुटनीति बेहद पेंचीदी होती है. अगर सत्ता में आने के बाद से ट्रंप के चाल-चलन पर गौर किया जाए, तो वह विवादों में ही रहे हैं.
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आखिर इतनी देर से क्यों शुरू की विदेशा यात्रा -
# डोनाल्ड ट्रंप से पहले के राष्ट्रपति पद संभालने के 50 दिन के अंदर ही विदेश दौरे पर निकल जाते थे. बराक ओबामा और जॉर्ज बुश ने भी पद संभालने के 50 दिन के अंदर ही अपने पहले विदेशी दौरे पर निकल गए. हालांकि ट्रंप 119 दिन बाद अपने पहले विदेशी दौरे पर जा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ट्रंप ने विदेश यात्रा शुरू करने में इतनी देरी क्यों की?
# डोनाल्ड ट्रंप से पहले के राष्ट्रपति पद संभालने के 50 दिन के अंदर ही विदेश दौरे पर निकल जाते थे. बराक ओबामा और जॉर्ज बुश ने भी पद संभालने के 50 दिन के अंदर ही अपने पहले विदेशी दौरे पर निकल गए. हालांकि ट्रंप 119 दिन बाद अपने पहले विदेशी दौरे पर जा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ट्रंप ने विदेश यात्रा शुरू करने में इतनी देरी क्यों की?
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# कुछ लोगों का कहना है कि ट्रंप विदेश यात्रा करने के मूड में नहीं थे, लेकिन विवादों में बुरी तरह घिर गए, जिसके चलते मजबूरन उनको विदेश यात्रा के लिए रवाना होना पड़ा. उनका मानना है कि अगर वह विदेश दौरे पर निकल जाएंगे, तो इस विवाद के सवालों से बच जाएंगे.
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