# भगवान श्री गणेश जी के बारे में तो हम सब जानते है ! पर हर शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा क्यों की जाती है ! ये बात बहुत कम लोग जानते है ! आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताते है -
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# श्री गणेश के समतुल्य और कोई देवता नहीं हैं ! इनकी पूजा किये बिना कोई भी मांगलिक कार्य, अनुष्ठान या महोत्सव की शुरुआत नहीं की जा सकती. गणेश जी ! शिव भगवान एवं माता पार्वती की संतान हैं, इन्हें विघ्नहर्ता ! भक्तों का दुःख दूर करने वाले ! विद्या, बुद्धि व तेज़ बल प्रदान करने वाले के रूप में जाना जाता है !
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# शास्त्रों व पुराणों के अनुसार गणेश पूजन के लिए बुधवार का दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है ! गणेश जी को लगभग 108 से भी अधिक नामो से जाना जाता है. किसी भी मांगलिक कार्य से पहले गणेश जी की पूजा करना भारतीय संस्कृति में शुभकारी बताया गया है !
# ऐसा माना गया है कि सर्वप्रथम किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले यदि गणेश पूजन किया जाता है तो वह कार्य निश्चित ही सफल होता है ! गणेश जी की सर्वप्रथम पूजा के विषय में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं ! गणेश भगवान के सर्वप्रथम पूजन की ऐसी ही एक प्रसिद्ध व लोकप्रिय कथा आप यहाँ पढ़ सकते हैं !
# ऐसा माना गया है कि सर्वप्रथम किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले यदि गणेश पूजन किया जाता है तो वह कार्य निश्चित ही सफल होता है ! गणेश जी की सर्वप्रथम पूजा के विषय में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं ! गणेश भगवान के सर्वप्रथम पूजन की ऐसी ही एक प्रसिद्ध व लोकप्रिय कथा आप यहाँ पढ़ सकते हैं !
भगवान श्री गणेश जी के सर्वप्रथम पूजन की कथा -
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# एक बार समस्त देवताओं के मन में इस बात पर विवाद उत्पन्न हुआ कि धरती पर किस देवता की पूजा समस्त देवगणों से पहले हो ! अतः सभी देवता इस प्रश्न को सुनते ही स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बताने लगे ! बात बढ़ते बढ़ते शस्त्र प्रहार तक आ पहुँची ! तब नारद जी ने इस स्थिति को देखते हुए सभी देवगणों को भगवान शिव की शरण में जाने व उनसे इस प्रश्न का उत्तर बताने की सलाह दी !
# जब सभी देवता भगवान शिव के समीप पहुँचे तो उनके मध्य इस झगड़े को देखते हुए भगवान शिव ने इसे सुलझाने की एक योजना सोची. उन्होंने एक प्रतियोगिता आयोजित की ! सभी देवगणों को कहा गया कि वे सभी अपने-अपने वाहनों पर बैठकर इस पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर आएं ! इस प्रतियोगिता में जो भी सर्वप्रथम ब्रह्माण्ड की परिक्रमा कर उनके पास पहुँचेगा वही सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा !
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# सभी देवता अपने-अपने वाहनों को लेकर परिक्रमा के लिए निकल पड़े. गणेश जी भी इसी प्रतियोगिता का हिस्सा थे. परन्तु गणेश जी बाकी देवताओं की तरह ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाने की जगह अपने माता-पिता शिव-पार्वती की सात परिक्रमा पूर्ण कर उनके सम्मुख हाथ जोड़कर खड़े हो गए !
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# जब समस्त देवता अपनी अपनी परिक्रमा करके लौटे तब भगवान शिव ने श्री गणेश को प्रतियोगिता का विजयी घोषित कर दिया ! सभी देवता यह निर्णय सुनकर अचंभित हो गए व शिव भगवान से इसका कारण पूछने लगे !
# तब शिवजी ने उन्हें बताया कि माता-पिता को समस्त ब्रह्माण्ड एवं समस्त लोक में सर्वोच्च स्थान दिया गया है, जो देवताओं व समस्त सृष्टि से भी उच्च माने गए है ! तब सभी देवता, भगवान शिव के इस निर्णय से सहमत हुए ! तभी से गणेश जी को सर्वप्रथम पूज्य माना जाने लगा !
# तब शिवजी ने उन्हें बताया कि माता-पिता को समस्त ब्रह्माण्ड एवं समस्त लोक में सर्वोच्च स्थान दिया गया है, जो देवताओं व समस्त सृष्टि से भी उच्च माने गए है ! तब सभी देवता, भगवान शिव के इस निर्णय से सहमत हुए ! तभी से गणेश जी को सर्वप्रथम पूज्य माना जाने लगा !
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# यही कारण है कि भगवान गणेश अपने तेज़ बुद्धिबल के प्रयोग के कारण देवताओं में सर्वप्रथम पूजे जाने लगे ! तब से आज तक प्रत्येक शुभ कार्य या उत्सव से पूर्व गणेश वन्दन को शुभ माना गया है !
# गणेश जी का पूजन सभी दुःखों को दूर करने वाला एवं खुशहाली लाने वाला है !अतः सभी भक्तों को पूरी श्रद्धा व आस्था से गणेश जी का पूजन हर शुभ कार्य से पूर्व करना चाहिए !
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# गणेश जी का पूजन सभी दुःखों को दूर करने वाला एवं खुशहाली लाने वाला है !अतः सभी भक्तों को पूरी श्रद्धा व आस्था से गणेश जी का पूजन हर शुभ कार्य से पूर्व करना चाहिए !
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