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कभी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देश का परचम लहराने वाली ये महिला फुटबॉलर, आज पान बेचने को है मजबूर

सिस्टम की गलतियों का खामियाज़ा न जाने कितने प्रतिभाशाली लोगों को भुगतना पड़ता है. सिस्टम और सरकार की उदासीनता का नतीज़ा ये होता है कि देश में हज़ारों टैलेंट दम तोड़ देते हैं, खास तौर पर महिलाओं को खेल में प्रोत्साहन न मिलने के कारण. आज ऐसी ही एक गरीबी और सरकार की उदासीनता का उदाहरण सामने आया है.



ये हैं ओडिशा की रश्मिता पात्रा. जब ये मैदान में दौड़कर अपनी फुर्ती से कमाल दिखाती थीं, तो विरोधियों के पसीने छूटने लगते थे. लेकिन आज खुद पेट भरने के लिए, ज़िंदगी जीने के लिए पसीना बहा रही हैं.

तस्वीर में दिखने वाली यह महिला भले ही आपको एकदम साधारण सी दिख रही हो, लेकिन इनके कारनामे असाधारण हैं, जिन्हें सुनकर आप न सिर्फ़ चौंक जाएंगे, बल्कि आपको सिस्टम पर गुस्सा आएगा. दरअसल, कभी भारतीय फुटबॉल टीम की Leading Defender रहीं रश्मिता आज अपना परिवार चलाने के लिए पान बेचने पर मजबूर हैं. 

रश्मिता वह महिला है, जिसने 12 साल की उम्र में प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया और अंतरराष्ट्रीय मंच तक देश का परचम लहराया. उन्होंने सालों तक न सिर्फ़ भारत का फुटबॉल में बतौर डिफेंडर प्रतिनिधित्व किया, बल्कि साल 2011 में भारतीय राष्ट्रीय टीम को बहरीन के खिलाफ एशिया कप के क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में जीत भी दिलाई.

इतना ही नहीं, रश्मिता ने 2008 में मलेशिया में हुए अंडर 16 एशियन फुटबॉल कंफेडेरशन कप में हिस्सा लिया और 2010 में उनके शानदार प्रदर्शन की बदौलत ओडिशा टीम ने राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता को जीता भी. रश्मिता जूनियर और सीनियर टीम दोनों में शानदार प्रदर्शन कर चुकी हैं.



लेकिन दुर्भाग्य से रश्मिता आज 25 साल की हैं और उनकी गरीबी ने उन्हें अपने सपने को छोड़ने पर मजबूर कर दिया. अपने परिवार को चलाने के लिए इस गरीब रश्मिता ने फुटबॉल खेलने के बजाय पान बेचना स्वीकार किया.

गौरतलब है कि 21 साल की उम्र में रश्मिता की शादी हुई थी, जिससे एक साल का बच्चा है. उनके पति के पास कोई नौकरी भी नहीं है और उनका परिवार दो वक्त की रोटी को मोहताज है.

इसलिए लोगों की परवाह किये बगैर और दो वक्त की रोटी के लिए रश्मिता ने कुछ काम करने की सोची ताकि उससे उसे कुछ आय हो सके. रश्मिता के मुताबिक, फुटबॉल उनके खून में है, लेकिन गरीबी ने उसे ख़त्म कर दिया.

बहरहाल, जो हाल देश के आधिकतर खिलाड़ियों का होता है, वही हाल रश्मिता का भी हुआ. आज फुटबॉल में महिलाओं को प्रोत्साहन न मिलने के कारण देश की एक प्रतिभा पान बेचने पर मजबूर है.
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