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सनसनीख़ेज़ : शाही इमाम की कोर्ट को खुलेआम धमकी मुझे बुलाया तो हो जायेंगे दंगे !!

बता दें कि कोर्ट ने जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी  के खिलाफ एक अपराधिक मामले को खारिज करने से इनकार करते हुए कहा कि वह मस्जिद के प्रमुख होने का लाभ नहीं उठा सकते है. दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि बुखारी सांप्रदायिक तनाव के ‘मनगढ़ंत’ एवं ‘काल्पनिक’ खतरे की आड़ में अदालतों की शक्ति से भाग नहीं सकते । अदालत ने इमाम की एक दलील को खारिज भी कर दिया ये दलील वही है जिसमे कहा गया था कि बुखारी को जेड प्लस सुरक्षा हासिल है और इस की सुनवाई के लिए इसको परेशानी होगी । अदालत ने नेशनल हेराल्ड मामले की मिसाल दी ।जहाँ कांग्रेस के पप्पू यानी राहुल गाँधी और उनकी माँ सोनिया गाँधी आरोपी के रूप में अदालत में पेश किये गए थे ।


न्यायाधीश लोकेश कुमार शर्मा ने कहा कहा की यह तर्कसंगत नहीं है कि अदालत में पेश होने से सुरक्षा को खतरा है । हाल ही में विपक्ष पार्टी के बड़े नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी असुरक्षा होने के बावजूद भी अदालत में पेश हुए । अदालत ने कहा कि अगर ऐसी छुट हर किसी को दे दी जायेगी को तथाकथित धार्मिक प्रमुख अदालत में ही नहीं आयेंगे ।
यह टिपण्णी अदालत ने तब दी जब वो इमाम के मजिस्ट्रेट अदालत के खिलाफ मई 2016 के केस के लिए याचिका पर सुनवाई कर रहे थे । यह केस शाही इमाम के खिलाफ 2001 में दर्ज किया गया था ।उनपर आरोप लगे थे की उन्होंने सरकारी नौकरशाहों के साथ कथित मारपीट की और सरकारी संपत्ति को नुकसान भी पहुचाने की कोशिश की । ऐसा लगता है कि शाही इमाम जामा मस्जिद के प्रमुख होने का फ़ायदा उठा चाह रहे है ।
यहाँ ये भी देखना तर्कसंगत होगा कि इमाम जैसों के 2001 के मामले 2016 तक खींचते रहते हैं और सीनाज़ोरी की हालत ये है कि ये आदमी एक बार भी अदालत में पेश नहीं होता । क्या ऐसी व्यवस्था के ख़िलाफ़ भी एक सर्जिकल स्ट्राइक नहीं की जानी चाहिए ? हम न्यायपालिका का पूरा सम्मान करते हुए ये वाजिब सवाल उठाना चाहते हैं कि क्यूँ अदालतें बहुतायत केवल ग़रीबों को सज़ा देती हैं अमीरों और पैसे वालों के केस पर आरम्भिक करवाई भी नहीं हो पाती है  ?
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