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इस मुस्लिम लड़की ने कोर्ट के आगे दिखायी कट्टरपंथी तो जज साहिबा ने बता दी औक़ात !!

एक मुस्लिम विस्थापित लड़की रानिया इल अल्लूल ने मांट्रीऑल कोर्ट के आगे बेहद बदतमीज़ी से व्यवहार किया जब उसने जज साहिबा के कहने पर भी अपना मुस्लिम हिजाब उतारने से इंकार कर दिया ।


बड़े रुख़ेपन और अकड़ के साथ उसने कहा कोर्ट को उसके धार्मिक विश्वास की इज़्ज़त करनी चाहिए हालाँकि जज साहिबा ने कहा अगर आप अच्छी तरह सुनना चाहती हैं तो आपको हिजाब उतार देना चाहिए एलीआना मारेंगो नाम  की जज ने आगे कहा – कोर्ट रूम एक सेक्युलर जगह है या कोई भी धार्मिक सिम्बल नहीं है ना ही यहाँ की दीवारें धार्मिक हैं ना यहाँ कोई इंसान । ये क़ानून के हिसाब से चलने वाली जगह है ।
जज ने ज़ोर देकर कहा कि आप किसी को अच्छी तरह नहीं सुन सकते अगर आपने एक हैट या चश्मा या हिजाब पहना हो । मैं आपकी बात नहीं सुनूँगी अगर आप ये हिजाब पहने रहेंगी । जब  रानिया इल अल्लूल से कहा गया आप हिजाब उतार दें ताकि कोर्ट की करवाई आगे चल सके तो उसने साफ़ इंकार कर दिया ।
मैं अपना हिजाब नहीं उतरूँगी – उसने कहा मैं बहुत सालों से इसे पहन रही हूँ , फिर उसने बहाने बनाए कि मैं ग़रीब हूँ इसलिए मुझे छूट मिलनी चाहिए और ये भी कि मैं तीन बच्चों की माँ हूँ -लेकिन जज साहिबा  ने कहा ग़रीब होना या तीन बच्चों की माँ होने का हिजाब पहनने या उतारने से क्या ताल्लुक़ है ?
जज ने फिर कहा मैं आपका केस नहीं सुनूँगी आप अपने वक़ील से बात कर सकती और रानिया इल अल्लूल को कोर्ट रूम छोड़ देने को कहा । बता दें कि ये मुस्लिम औरत अपनी कार छुड़वाने के लिए आयी थी जिसको पुलिस ने इम्पाउंड कर रखा था क्यूँकि पुलिस ने पाया था कि उसका बेटा बिना लाईसेंस के कार चला रहा था ।
और इसपर जैसे सब मुस्लिम दलीलें देते हैं वैसी ही दलीलें शुरू हो गयी , मुझे लग रहा है मैं अब कनाडा की नागरिक नहीं हूँ , मुझे बहुत डर लग रहा है मेरी ज़िंदगी अब डर में बीतेगी । अरे भाई सिम्पल सी बात थी वहाँ  कोर्ट रूम में क़ानून सबके लिए बराबर था , हिजाब उतारों और अपना केस ख़त्म करवाओ लेकिन आपको तो हल्ला करके ख़ुद को विक्टिम साबित करना है ताकि आप अपने इस्लामिक एजेंडे को आगे बढ़ा सकें ।
वैसे भी दूसरे देश से आए विस्थापितों को उस देश के क़ानून का पूरा पालन करना चाहिए जिस देश ने उनको शरण दी है लेकिन इन शांति दूतों को मानवता , क़ानून की भाषा कभी समझ ही नहीं आती , इनको तो अपनी हर चीज़ में बिना वजह कट्टरपन दिखाना है ।
ख़ुद को लिब्रल कहने वाली बिकाऊ मीडिया की इस पर ड्रामेबाज़ी शुरू हो चुकी है  जैसे भारत में होता है नीचे देखें एक मीडिया रिपोर्ट ।

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