
हम बात कर रहे रविश कुमार जैसे पत्रकारों और मीडिया मालिकों की, जो नैतिकता के नाम पर अपनी टेलीविज़न स्क्रीन काली करने में तो आगे रहते हैं लेकिन प्रश्न जब स्वयं उनकी और उनके आकाओं पर उठें, तो एकदम से चुप्प्पी साध लेते हैं| ऐसे दिखाते हैं जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं!
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विजय माल्या से हमारी कोई हमदर्दी नहीं है और न ही किसी राष्ट्रवादी को होगी! लेकिन, इसी आदमी को लेकर अब मीडिया में एक नया भूचाल आ सकता है! दरअसल, विजय माल्या ने किसको कितनी मलाई खिलाई है, उनके पास इस सब का पूरा हिसाब है! अब रविश ही नहीं, बरखा, राजदीप जैसे कई पत्रकार एकदम चुप हो गए हैं!
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देखिये सुधीर का शानदार DNA टेस्ट प्रोग्राम, जिसमें बड़े व्यापारियों के इशारों पर नृत्य करने वाले पत्रकारों और मीडिया मालिकों का काला चिटठा खोला गया है:
आप क्या सोचते हैं? क्या विजय माल्या को रोका जाना चाहिए था? क्या ये बीके हुए पत्रकार, अब विजय माल्या पर कुछ नहीं कहेंगे? और सबसे बड़ा सवाल – क्या देश का पैसा देश के खाते में वापिस आएगा या नहीं?
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