
दरअसल , मोदी सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को नया आर्मी चीफ नियुक्त करने का एलान किया है वह 31 दिसंबर से अपना पद संभालेंगे . लेकिन, इनके नाम पर अभी से राजनीति शुरु हो गई है . बता दें कि 33 साल बाद किसी आर्मी चीफ की नियुक्ति में वरिष्ठता को नजरअंदाज किया है और इसी बात को लेकर अब हंगामा शुरु हो गया है . कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने सरकार से जवाब मांगा है कि आखिर आर्मी चीफ की नियुक्ति में वरिष्ठता के क्रम को नजरअंदाज क्यों किया? इसके जवाब में बीजेपी ने पलटवार करते हुए उनसे पूछा कि राहुल गांधी कितने वरिष्ठ हैं .
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि हमें बिपिन रावत की क्षमता पर कोई शक नहीं है परन्तु केंद्र सरकार को इसका जवाब देना चाहिए कि आर्मी चीफ की नियुक्ति में तीन सीनियर अफसरों को छोड़कर बिपिन रावत को तवज्जो क्यों दी गई . जेडीयू नेता केसी त्यागी ने भी बिपिन रावत को नया आर्मी चीफ बनाए जाने पर सवाल उठाए हैं . केसी त्यागी ने कहा कि इस तरह की नियुक्ति में पारदर्शिता बहुत जरूरी है . वहीं तृणमूल कांग्रेस ने भी इस पर सरकार से सफाई देने को कहा है .
बता दें कि आर्मी के रिटायर्ड अफसरों का कहना है कि सेना प्रमुख की नियुक्ति को विवादित नहीं बनाना चाहिए . इस पर राजनीति ठीक नहीं है . रक्षा विशेषज्ञ भी इस नियुक्ति को सही ठहरा रहे हैं सूत्रों के अनुसार इस समय देश में जैसे हालात हैं उन्हें संभालने के लिए बिपिन रावत सबसे उपयुक्त अफसर हैं . उन्हें कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन का तजुर्बा भी है .बता दें कि बिपिन रावत के पास सबसे ज्यादा अशांत क्षेत्रों में काम करने का अनुभव है .
बताया जा रहा है कि लेफ्टिनेंट जनरल की नियुक्ति पर कांग्रेस के विरोध से सोशल मीडिया में भी कांग्रेस के नेताओं की जमकर आलोचना हो रही है . लोग कांग्रेस से पूछ रहे हैं कि क्या आप बता सकते हैं कि राहुल गांधी कितने वरिष्ठ है . कहा जाता है कि सोनिया गांधी के बाद वह पार्टी अध्यक्ष होंगे . क्या पार्टी में कोई दूसरा नेता नहीं है जो सोनिया के बाद पार्टी की कमान संभाल सके?
लेफ्टिनेंट जनरल के उपर उठाए जाने वालो सवालों पर लोगो का कहना है कि कांग्रेस को पहले अपने गिरेबान में झांक लेना चाहिए !
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