
बता दें कि कोंग्रेस और दूसरी पार्टियों ने सेना के चीफ़ की नियुक्ति को भी मजहबी रंग देने की कोशिस की है, इस देश के तथाकथित सेक्युलर बनने वाले नेता हर चीज़ को धर्म का रंग देते हैं और भाजपा, आरएसएस को इसके लिए बदनाम करते हैं, अभी हाल ही की घटनाएँ देख लीजिए, ओवैसी ने अभी हाल ही में ये कहा था की मुस्लिम इलाक़ों में नोट नहीं दिए जा रहे और उतराखंड की सरकार ने केवल मुस्लिम कर्मचारियों को नमाज़ पढ़ने के लिए शुक्रवार के दिन विशेस डेढ़ घंटे की छुट्टी देने का एलान किया है ।
उधर भाजपा की सरकारें सबके लिए एक जैसा क़ानून और बिना भेदभाव वाला समाज निर्माण करने में जुटी हैं असम की भाजपा सरकार को ही देख लीजिए उन्होंने मदरसों में होने वाली शुक्रवार की छुट्टी को रविवार की छुट्टी में तब्दील कर दिया ताकि पूरे प्रदेश के सब शिक्षण संस्थाओं में एक ही दिन छुट्टी हो । अब बाद दिमाग़ लोग इसको मुस्लिम विरोधी फ़ैसला कह सकते हैं पर सरकारों का कोई भी फ़ैसला हिंदू -मुस्लिम आधार पर लिया ही क्यूँ जाना चाहिए ? क्यूँ किसी समुदाय को दूसरों से ज़्यादा अधिकार मिलने चाहिएँ ? एक जैसा समाज , बिना भेदभाव वाला समाज का निर्माण ही तो देश की तरक़्क़ी में सबसे ज़्यादा सहायक होता है ।
अब बात करते हैं कि बिपिन रावत को नया आर्मी चीफ़ बनाने का विरोध करने वाली कोंग्रेस को उसके ही MP ने करारा झटका दिया है । बता दें कि वारिस्ट कोंग्रेस नेता और राज्यसभा के MP सत्यवर्त चतुर्वेदी ने कहा कि विपिन रावत को आर्मी चीफ़ बनाकर मोदी जी ने बिलकुल सही किया है । ANI के साथ बातचीत में उन्होंने कहा – बिपिन रावत की नियुक्ति पर सवाल उठाने वालों को मैं सही नहीं समझता हूँ , सेना और राजनीति को आपस में नहीं जोड़ना चाहिए , उन्होंने ये भी कहा ऐसी नियुक्तियों के लिए केवल वरिष्ट होना ही एकमात्र आधार नहीं हो सकता उसके लिए दूसरी चीज़ें भी देखनी पड़ती हैं । सरकार ने निर्णय करते समय ये सब बातें ध्यान में रखी होंगी ।
कहने का अर्थ है उन्होंने साफ़ साफ़ अपनी ही पार्टी को बोल दिया है कि सेना के मामले में फ़िज़ूल का बवाल मत करो हर चीज़ में हिंदू-मुस्लिम और राजनीति मत घुसेड़ो ।
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