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1980 के दशक में कुछ ऐसे थी संबंध वर्कर्स की Life देखे : Photos...

मुंबई। देश का दूसरा सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा में आज भी हजारों संबंध वर्कर्स बद से बदतर जिंदगी बिता रही हैं। भले ही अंग्रेजों ने अपने सैनिकों के लिए इस रेड लाइट एरिया को ‘कम्फर्ट जोन’ के रूप में तैयार करवाया था, लेकिन ये जगह संबंध
 वर्कर्स के लिए नर्क से कम नहीं हैं। 1980 में अमेरिकी फोटोग्राफर मैरी एलेन मार्क ने कमाठीपुरा की लाइफ को अपने कैमरे में कैद कर उन्हें मिलने वाली प्रताड़नाओं के बारे में बताया था।
जानिए क्या दिखाया अमेरिकी फोटोग्राफर ने
मैरी एलेन मार्क ने कमाठीपुरा पर खींची गई फोटोज को 'द केज गर्ल्स ऑफ़ बॉम्बे' नाम दिया था। उनकी ये फोटो सीरीज दुनिया भर में बेहद मशहूर हुई थी। जिसे खींचने उन्होंने तीन माह रेड लाइट एरिया में बिताए थे। फोटो सीरीज में संबंध वर्कर्स को होने वाली बीमारियां, अत्याचार और गरीबी को दिखाया गया था।
1980 में कैसे थे रेड लाइट एरिया के हालत
आज की तुलना 1980 में कमाठीपुरा में बड़ी तादाद में संबंध वर्कर्स काम किया करती थीं। इनमें से कुछ बार गर्ल्स भी थीं।बताया जाता है कि उस वक्त संबंध वर्कर्स के रिहैबिलिटेशन पर सरकार और एनजीओ सक्रीय नहीं थे। लेकिन समय के साथ देश-विदेश के कई एनजीओ यहां आए और कई संबंध वर्कर्स की लाइफ भी बदली। आज कई संबंध वर्कर्स के बच्चे देश-विदेश में पढ़ लिख रहे हैं, जबकि कुछ वर्कर्स इस बिजनेस को छोड़ चुकी हैं।
अंडरवर्ल्ड का बड़ा अड्डा
 
बताया जाता है कि 80-90 के दशक में इस इलाके में अंडरवर्ल्ड का बोलबाला था। दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन, विक्की गोस्वामी समेत कई बड़े गैंगस्टर्स यहां आते जाते थे। जिस कारण यहां देह व्यापार के अलावा ड्रग्स और कई अवैध धंधे पनपने लगे।
अब क्या है स्थिति
कमाठीपुरा अब ह्युमन ट्रैफिकिंग(मानव तस्करी) का बड़ा अड्डा बनता जा रहा है। बांग्लादेश और अन्य राज्यों से लाई जाने वाली महिलाओं को नशे की लत लगा दी जाती है। उन्हें तब तक छोटे अंधेरे कमरे में इंजेक्शन देकर बंद रखा जाता है जब तक उनका विल पावर खत्म न हो जाए। जवान दिखने के लिए टैबलेट्स भी दी जाती है। इन टैबलेट्स का सेवन न करने पर लड़कियों को बेचैनी होती है। एक रात में इन लड़कियों को 5 से 8 कस्टमर्स को परोसा जाता है। यदि लड़कियां संबंध करने से मना करती है तो उन्हें पीटा जाता है।
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