
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जो की असल में एक NGO है
और जिसका निर्माण मुसलमानो ने नहीं बल्कि इंदिरा नेहरू ने तुष्टिकरण और वोटबैंक के लिए किया था
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारत में कभी भी सांप्रदायिक सौहार्द नहीं चाहता क्योंकि इसने इस्लामी एजेंडे को बना रखा है, और भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने में लगा हुआ है
और इसी कारण अलग अलग मुद्दों पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अलग अलग राय होती है
यानि हमेशा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दोगला पन्ति का प्रदर्शन करता है
अभी कुछ ही दिनों पहले ट्रिपल तलाक का मुद्दा चल रहा था, तो एहि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कह रहा था की, ये हमारा मामला है, कोर्ट इसमें दखल न दे
हम कोर्ट की नहीं मानेंगे, इत्यादि इत्यादि
यानि ट्रिपल तलाक पर कोर्ट की मानने से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने साफ़ इनकार कर दिया
और आज देश में राम मंदिर का मुद्दा चल रहा है, और सुप्रीम कोर्ट ने कहा की, मामला बाहर निपटा लिया जाए तो ज्यादा बेहतर है, इसपर इसी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है की
नहीं हम सिर्फ कोर्ट की मानेंगे, बाहर सुलह नहीं करेंगे
यानि ट्रिपल तलाक पर कोर्ट की नहीं मानेंगे, और राम मंदिर के मुद्दे पर बाहर सुलह नहीं करेंगे
कोर्ट की मानेंगे
ऐसा प्रतीत होता है जैसे देश में कानून मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के हिसाब से ही चलना चाहिए, यानि शुद्ध दोगला होना चाहिए, वैसे नोट करने वाली चीज ये भी है की कांग्रेस द्वारा बनाई गयी है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
देशविरोधी तो होना ही है
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