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ब्रेकिंग : स्विट्ज़रलैंड ने मुस्लिमों पर लगा दिया बैन, कहा एक भी नहीं चाहिए !!

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शरणार्थी संकट किसी आपदा से कम नहीं है !

हर राष्ट्र ने अब अपने देश में अविनाश शरणार्थियों की अनुमति लगभग खत्म कर दी है.अगर आगे भी यूरोप ने हजारों निर्वासित मुस्लिम शरणार्थियों को अपने देश में रखा तो पूरा यरोप आने वाले समय में इस्लाम से हारेगा.

मुस्लिम शरणार्थियों के आने से आतंकवादी हमलों में अभूतपूर्व स्तर की बढोतरी हुई है और सरकारों को यह नहीं पता कि इसे कैसे रोकना है। निर्दोष नागरिक जिहाद के हाथों मर रहे हैं.

स्विट्जरलैंड जिसको टुरिस्ट दुनिया का सबसे ख़ूबसूरत देश मानते हैं ने आधिकारिक तौर पर देश में प्रवेश करने के लिए मुसलमानों पर प्रतिबंध लगा दिया है और जल्द ही उन सभी को निर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी जब तक वे स्विस मानकों के अनुरूप नहीं होते हैं, यूएसए टुडे की सूचना से ये जानकारी मिली है.

अभी हाल ही में स्विट्जरलैंड के यूरोपियन मानव अधिकार अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि सह शिक्षण स्कूलों में मुस्लिम लड़कियों को लड़कों के साथ तैराकी कक्षा लेनी ही पड़ेगी। .

स्विट्जरलैंड: मुस्लिम लड़कियों को लड़कों के साथ तैरना ही होगास्विट्जरलैंड: मुस्लिम लड़कियों को लड़कों के साथ तैरना ही होगा

स्विट्जरलैंड के मुस्लिम दंपती ने यूरोपियन कोर्ट और ह्यूमन राइट्स (ईसीएचआर) में लड़कियों को लड़कों के साथ तैराकी न कराने को लेकर मुकदमा दायर किया था। अदालत ने मुस्लिम अभिभावकों की आपत्ति को ख़ारिज करते हुए कहा कि स्विस अधिकारियों का पाठ्यक्रम को लागू कराने और बच्चों को समाज में सफलता से घुलाने-मिलाने के लिए लिया गया फैसला जायज है।

यानि साफ़ पता चलता है की मुसलमान अपने कानून के हिसाब से चलना चाहते हैं लेकिन स्विस सरकार ने बता दिया है वहां इस्लामिक कानून नहीं उनके हिसाब से चलना होगा .

आज कई देश मुस्लिम समस्या से परेशान है जब इनकी संख्या ज्यादा हुई तो ये अपने इस्लामिक कानून को थोपने की कोशिश करते हैं .

यूरोपीय संघ की शीर्ष अदालत ने अभी पीछे एक ऐतिहासिक मामले में व्यवस्था दी कि इस संघ की कंपनियां अपने कर्मचारियों को इस्लामिक हिजाब जैसे धार्मिक एवं राजनीतिक प्रतीकों को पहनने से रोक सकती हैं. यूरोपीय कोर्ट ऑफ जस्टिस (ईसीजे) ने कहा कि यदि कोई कंपनी अपने यहां ‘किसी राजनीतिक, दार्शनिक या धार्मिक प्रतीक’ के पहनने पर रोक लगाती है तो यह कोई ‘प्रत्यक्ष भेदभाव’ नहीं है.

धार्मिक प्रतीकों और खासकर हिजाब जैसे इस्लामिक प्रतीक को पहनना यूरोप में लोकप्रिय भावना के उभार के साथ एक ज्वलंत मुद्दा बन गया है. ऑस्ट्रिया जैसे कुछ देश सार्वजनिक तौर पर चेहरा ढ़कने पर पूर्ण पाबंदी लगाने पर विचार कर रहे हैं..
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