गौरतलब है, कि पूरे जनपद में हिन्दू संगठनों के हजारो कार्यकर्ताओ ने जैसे ही ये खबर सुनी कि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा हो गई है, वैसे ही सभी ने गली मोहल्लो में इकठ्ठा होना शुरू कर दिया . साथ ही ढोल नगाड़ो की थाप पर नाच कर इसका जश्न मनाया. आपको बता दे कि कार्यकर्ताओ ने पटाखे जला कर बिलकुल दीपावली जैसा माहौल बना दिया. साथ ही मिठाईया खिला कर एक दूसरे को बधाई भी दी.
वही हिन्दू जागरण मंच के जिला अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने पर इसे हिंदुत्व की जीत बताया और ये भी कहा कि इससे हिन्दू समाज को मजबूती मिलेगी. इसके इलावा उत्तर प्रदेश के युवा उद्योग व्यापार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेश शंकर जो बहजोई नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष थे, उन्होंने इसे हिन्दू समाज की जीत बताते हुए कहा कि इससे हिन्दू समाज को नई दिशा मिलेगी. वैसे भी अब भारत हिन्दू राष्ट्र बनने की तरफ मजबूती से बढ़ रहा है. ऐसे में योगी आदित्यनाथ से हिन्दू समाज को बड़ी बड़ी आशाएं है. जो पूरी होती दिख भी रही है.
गौरतलब है, कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने का जश्न मना रहे हिन्दुओ पर अचानक मुस्लिम समाज ने भयानक हमला कर दिया. जिससे माहौल तो तनावपूर्ण हुआ ही और साथ ही कई हिन्दू भी इस हमले से घायल हो गए. पहले तो चुनोती पूर्ण तरीके से योगी जी का स्वागत किया गया. इसके इलावा माहौल बिगाड़ने का काम लश्कर ए मीडिया कर ही रही है. ऐसे में कई सारी बातें नापी जा रही है. इन सब बातों से ये साफ़ पता चलता है, कि हिन्दुओ को दबाने की पूरी कोशिश की जा रही है.
अब अगर इस पर कोई प्रतिक्रिया होती है, तो जहाँ जखीरे संचयित है, वहां उद्रेक भी हो सकता है. ऐसे में मीडिया लश्कर ए भी अपनी तरफ से विषवर्षा करने को सज्ज है. अब यदि सरकार हरकत में आती है तो कम्यूनल अतिरेक की उपाधि भी तुरंत और मुक्तहस्त बांटी जाएगी. ये नहीं कि विकास के हैशटैग ट्रेंड करवाएं जाएंगे. वास्तव में एक साम्प्रदायिक व्यक्ति का चुनाव करके भारत को गर्त में धकेलने का दाग मोदी जी पर लगाया जाएगा. ऐसे में पक्ष के अंदर जो हितशत्रु है, वो भी सक्रिय हो जाएंगे.
बस अब तो इतना ही कहना है, कि अन्य देशो के लोगों ने चीन को मानवाधिकार आदि के लिए कितनी भी गालियां दी हो, पर फिर भी उन देशो की कंपनियों ने चीन के साथ बिज़नस करना नहीं छोड़ा. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके ग्राहक जानते है, कि जो उत्पाद वे खरीद रहे है, वो चीन में ही बने है. मगर फिर भी वे खरीदना बन्द नहीं करते. अगर योगी जी के स्वागत में गैर बीजेपी राज्यों में दंगे हुए और वही लश्कर ए मीडिया इसके लिए योगी जी की नियुक्ति को जिम्मेदार ठहराएं तो इसमें बिलकुल आश्चर्य की बात नहीं होगी.
अब रोहिद्द्गयाओ पर म्यांमार में हुए कथित अत्याचारो का अर्थ ये तो नहीं कि मुम्बई में दंगे हो, लेकिन हुए थे. जहाँ कार्टून डेन्मार्क में छपे थे तो वही दंगे दुनियाभर में हुए थे. इन दोनों में क्या सम्बन्ध था ? बस ये समझ लीजिए कि अपनी शक्ति की दहशत कायम करनी थी. यह इनका ही एक पैटर्न होता है. मगर हम न तो इनकी रणनीति समझना चाहते है और न ही इनकी विचारधारा समझने में रूचि है.
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