
नई दिल्ली। हस्तरेखा विज्ञान अत्यंत सूक्ष्म गणनाओं और बारीकी से निरीक्षण करने के आधार पर सटीक फल कथन देता है, लेकिन आजकल के भविष्यकर्ता जल्दबाजी में रहते हैं। उन्हें जो रेखा पहले नजर आ गई उसी के अनुरूप फलादेश देने लगते हैं। वे रेखाएं और उन पर मौजूद चिन्ह तो देख लेते हैं, लेकिन हाथ की प्रकृति को अनदेखा कर देते हैं। यही कारण है कि उनका फलादेश सटीक नहीं होता और लोगों का विश्वास हस्तरेखा से उठ जाता है।
हस्तरेखा में यह अत्यंत आवश्यक है कि रेखाओं और पर्वतों का अध्ययन करने से पहले हाथ की बनावट, प्रकृति, गुण, रंग, आकृति का भी सूक्ष्म अध्ययन किया जाए। हाथ की बनावट का अध्ययन किए बिना रेखाओं को देखकर फलादेश देना अधूरा है। इससे परिणाम भी सौ फीसदी नहीं मिलती।
आइये हम बताते हैं आपको हाथ कितने प्रकार के होते हैं और उनकी बनावट से व्यक्ति के स्वभाव के बारे में कौन-कौन सी जानकारी हासिल की जा सकती है...

हाथों की बनावट प्रसिद्ध और चर्चित हस्तरेखा विज्ञानी कीरो ने अपने अध्ययन के आधार पर हथेली की बनावट को मुख्यतः पांच प्रकारों में बांटा है। हड्डियों की बनावट के कारण हाथों की बनावट में भी अंतर आ जाता है। जो इस प्रकार हैं मूल हाथ वर्गाकार हाथ कर्मठ हाथ दार्शनिक हाथ मिश्रित हाथ। इनके अलावा भी कुछ श्रेणियां हैं किंतु मोटे तौर पर इन्हीं को मान्यता मिली हुई है।

मूल हाथ हथेलियों की बनावट के आधार पर सबसे पहले मूल श्रेणी को रखा गया है। इसे हाथों का सबसे प्रारंभिक प्रकार भी माना जा सकता है। इस प्रकार के हाथ खुरदुरे, भारी तथा मोटे होते हैं। पीछे से देखने में इस प्रकार की हथेलियां बेडौल दिखाई पड़ती हैं और उंगलियां भी असमान होती हैं। कोई अधिक मोटी तो कोई पतली। इस प्रकार के हाथ वाले व्यक्ति असभ्य माने जाते हैं। ये हमेशा दूसरों को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचते रहते हैं तथा दूसरों की नकल करने की प्रवृत्ति होती है। परिवार, समाज, संस्कृति के प्रति ये उदासीन होते हैं और अपने-अपने में ही खोए रहते हैं। इनकी मित्रता निम्न प्रकृति के लोगों से रहती है। मद्यपान, धूम्रपान करते हैं।

वर्गाकार हाथ इस प्रकार की हथेली वर्गाकार होती है। हाथों को पीछे से देखने पर आसानी से इनका आकार देखा जा सकता है। इस प्रकार की हथेली भी कुछ मायनों में बेडौल होती हैं, लेकिन इनमें अंतर यह होता है कि इनकी अंगुलियां लचकदार और चिकनी होती हैं। त्वचा भी साफ-सुथरी होती है। जिन लोगों की हथेलियां वर्गाकार होती हैं उनमें गजब की बौद्धिक क्षमता होती है। परिवार और समाज में लोकप्रिय होते हैं। ऐसी हथेली वाले व्यक्ति दार्शनिक, चित्रकार, कलाकार, साहित्यकार होते है। इस प्रकार के व्यक्तियों के पास धन कम जरूर होता है, लेकिन इनके लिए धन से बढ़कर अपना सम्मान और प्रतिष्ठा होती है। अपने कार्यों के कारण सम्मान और कीर्ति प्रा्रप्त करते हैं।

दार्शनिक हाथ ऐसा हाथ फूला हुआ, गठीले जोड़ों से युक्त होता है। इस प्रकृति का हाथ न तो अधिक कठोर होता है और न कोमल। हाथ लचीला होता है तथा अंगुलियां सामान्य लंबाई, मोटाई लिए होती है। यदि ऐसा हाथ स्त्रियों का है तो उसमें विशेष चमक, लचक और लालिमा होती है। दार्शनिक हथेलियों के मालिक आमतौर पर योग्य, विद्वान एवं उच्च बौद्धिक क्षमता वाले होते हैं। समाज की किसी न किसी शाखा का ये नेतृत्व करते हैं। अपने आदर्शों पर चलने वाले तथा उत्साही होते हैं। लगातार नई-नई बातें सीखने के प्रति विशेष लगाव होता है। इस तरह के हाथ वाले व्यक्ति खयालों में खोए रहते हैं। इन्हें एकांत पसंद होता है, लेकिन परिवार से प्यार होता है। इन्हें धन की कमी नहीं रहती।

मिश्रित हाथ जो हाथ उपरोक्त श्रेणी में नहीं आते उन्हें मिश्रित श्रेणी में रखा जाता है। इस प्रकार के हाथ में एक से अधिक हाथों के गुणधर्म पाए जाते हैं। इसलिए इन्हें मिश्रित हाथ कहा जाता है। विभिन्न प्रकार के हाथों का मिश्रण होने से इनमें सभी के कुछ न कुछ गुण आ जाते हैं। ऐसे व्यक्ति अत्यधिक उत्साही होते हैं, लेकिन किसी काम को लेकर जितना उत्साह दिखाते हैं उतनी ही तेजी से आलस्य भी इनके मन में आ जाता है। ये कभी भी किसी एक काम को पूर्ण नहीं कर पाते। एक को अधूरा छोड़कर दूसरा करने लग जाते हैं। अस्थिर प्रकृति का होने के कारण परिवार में भी इन्हें अधिक महत्व नहीं मिलता। जीवनसाथी और संतानों की जिम्मेदारी लेने से भागते रहते हैं। धन संचय करना इन्हें नहीं आता।
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