
देश के ई-कॉमर्स कारोबार के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा निवेश जुटा लेने के बाद फ्लिपकार्ट ने अपनी प्रतिद्वंद्वियोंं को कड़ी टक्कर देने का आधार पुख्ता बना लिया है. माइक्रोसॉफ्ट, ईबे और टेनसेंट जैसे दिग्गजों से मिली 9,000 करोड़ रुपए की रकम का एक बड़ा हिस्सा वह पेमेंट सब्सिडियरी कंपनी ‘फोनपे’ को बढ़ाने और फर्नीचर-ग्रॉसरी जैसे बाजार में अपने विस्तार पर खर्च करेगी. साथ ही फ्लिपकार्ट अपने कोर आॅनलाइन रीटेल कारोबार को और भी मजबूत करने की सोच रही है.
फ्लिपकार्ट के सीईओ बिन्नी बंसल ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘हम ईबे के साथ मिलकर क्रॉस-बॉर्डर बिजनेस को बढ़ाने की कोशिश करेंगे, जबकि टेनसेंट के साथ पेमेंट बिजनेस के लिए साझेदारी करेंगे.’ फ्लिपकार्ट ने अपने मुख्य कारोबार यानी ऑनलाइन रीटेलिंग को दो साल के भीतर मुनाफे में लाने का लक्ष्य भी रखा है.
यानी कंपनी अब अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों चीन की अलीबाबा और अमेरिका की अमेजन को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में है. जानकारों के अनुसार फ्लिपकार्ट ने नए निवेश जुटाकर भारतीय ई-कॉमर्स कारोबार में त्रिकोणीय मुकाबले की जमीन तैयार कर दी है. पिछली कुछ तिमाहियों से फ्लिपकार्ट अपनी प्रतिद्वंद्वियों की आक्रामक मुहिम से दबाव महसूस कर रही थी. फ्लिपकार्ट इन दिनों एक अन्य प्रतिद्वंद्वी कंपनी स्नैपडील को भी खरीदने की कोशिश कर रही है. यदि यह डील सफल हो जाती है तो उसके पाले में जापान की सॉफ्टबैंक जैसी दिग्गज निवेशक कंपनी आ जाएगी. इससे उसका आधार और मजबूत हो जाएगा.
स्नैपडील के बोर्ड में शामिल रहे एक निवेशक का कहना है, ‘अमेजन बहुत आक्रामक है. इसके चलते फ्लिपकार्ट के पास निवेश बढ़ाने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा था. धन जुटाने के बाद फ्लिपकार्ट अब नए प्रयोग कर सकती है.’
फ्लिपकार्ट ने इससे पहले जुलाई 2014 से जुलाई 2015 के बीच रिकॉर्ड 2.4 अरब डॉलर का निवेश जुटाया था. इससे कंपनी का मूल्यांकन तब 2.6 अरब डॉलर से बढ़कर 15.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया था. लेकिन प्रतिद्वंद्वी कंपनियों अमेजन और अलीबाबा के आक्रामक प्रयासों से उसकी राहें मुश्किल होने लगी थीं. इससे पिछली तिमाहियों में फ्लिपकार्ट की कीमत में गिरावट दर्ज की गई. हालांकि अब यह सुधरकर 11.6 अरब डॉलर पर आ हई है. हालांकि अब भी इसका मूल्यांकन 2015 के स्तर से एक चौथाई कम ही है.
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