" जय श्री श्याम बाबा "
खाटू वाले बाबा मेरे श्याम धनी ।
तेरी किरपा की मुझको जरुरत घनी ।
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" तेरे दर पर लगाते है अरदास मेरे श्याम ।
तुम सुनते हो सबकी और पूर्ण करते काम ।
तुमसा दानी दयालु और न कही
तेरी किरपा की मुझको जरुरत घनी !!
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" खाटू धाम है निराला और पावन मेरे श्याम ।
विश्वास लेके मन में सब आते तेरे धाम ।
तुम सुनते हो सबकी विनती धनी ।
तेरी किरपा की मुझको जरुरत घनी !!
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" कहा जाऊ बतादे मुझको मेरे घनश्याम ।
तेरे दर के सिवा कुछ न अब दिखे मेरे श्याम ।
सुनलो विनती ‘आलोक‘ की श्याम धनी ।
तेरी किरपा की मुझको जरुरत घनी !!
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