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दुनिया के सबसे बड़े धनकुबेर बिल गेट्स ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी को बताया सबसे बेहतर नेता

भारत की मोदी सरकार द्वारा लिए गए नोट बंदी के फैसले पर देश में मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं लेकिन जहाँ भी देखा गया है जनता मोदी सरकार के साथ नज़र आयी है। हाँ बड़े बड़े नेता और धन कुबेर ज़रूर इसके विरोध में हैं क्यूँकि कहीं ना कहीं अपना लालच छुपा है।
इसी बीच मोदी विरोधियों के लिए चुनोती देने वाली ख़बर आ रही है। बता दें कि दुनिया के सबसे अमीर आदमी और माईक्रोसॉफ्ट के मालिक बिल गेट्स ने सरकार के विमुद्रीकरण के फैसले की खुलकर तारीफ की है और इसे सरकार द्वारा उठाया गया एक ज़बरदस्त और बेहद बोल्ड फ़ैसला कहा है ।

बिल गेट्स के कहे मुताबिक लगातार करेंसी के पुराने नोटों को नए नोटों से बदलना चाहिए। ये कार्य अर्थव्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए जरूरी है। गेट्स ने आगे कहा कि नोटबंदी के इस फैसले से डिजिटल लेन-देन में तेजी से बढ़ोतरी होगी और आने वाले समय में भारत दुनिया की सबसे ज्यादा डिजिटाइज्ड अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगी।

उन्होंने ये भी कहा कि यह बढ़ोतरी सिर्फ आकार के हिसाब से नहीं बल्कि काम के फीसद के हिसाब से भी होगी। यही नहीं उन्होंने तो यह भी कहा कि भारत सरकार को डिजिटाइजेशन को कामयाब बनाने के लिए सही दिशा में काम करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर, मार्केट, लेबर और टैक्स जैसे जरूरी मुद्दों पर सरकार को सही कदन उठाने होंगे जिससे कि डिजिटाइजेशन बढ़ सके।

गेट्स ने अपनी बात बढ़ाते हुए कहा कि भारत को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा और टेक्नॉलजी निर्माण के क्षेत्र में ऐसा सिस्टम बनाना होगा जिससे कि वह ग्लोबल चुनौतियों का सामना कर सके। उन्होंने आगे कहा कि पूरी दुनिया की नजर भारत पर है कि वह कैसे इनोवेशन के क्षेत्र में उसके सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करता है। गेट्स ने यह बातें नई दिल्ली में नीति आयोग द्वारा आयोजित ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया के लेक्टर की दूसरी सीरीज कहीं और साथ ही भारत सरकार की स्टार्ट अप इंडिया और स्वच्छ भारत अभियान की भी सराहना की।
बिल गेट्स ने ये भी कहा की, "मैंने दुनिया भर में कई राष्ट्र प्रमुखों को देखा पर नरेंद्र मोदी जैसा कोई नहीं जिसपर कोई दबाव काम नहीं करता"
बिल गेटस से पहले  दुनिया भर के नेता और बुधिजीवी मोदी जी के इस फ़ैसले की तारीफ़ कर चुके हैं पर पता नहीं ममता , केजरीवाल और राहुल गांधी जैसे लोगों ने अर्थशास्त्र की कौन सी पढ़ाई की है कि सीधा सीधा फ़ायदे का नज़र आने का सौदा भी उन्हें ग़लत लग रहा है । लगता है इन नेताओं को गहरी चोट लगी है अब चोट किस चीज़ की है वो तो आप समझ ही गये होंगे  क्यूँ  ?

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