अगर आप लोग ये समझते हैं कि इस्लामिक कट्टर पंथी इस्लाम को पवित्र मानते हैं तो आप भूल कर रहे हैं , बता दें कि मुसलमानों की एक हज़ार से ज़्यादा लोगों की भीड़ ने अहमदी मस्जिद पर हमला कर दिया क्यूँकि मुस्लिमों में अहमदी लोगों को अल्पसंख्यक माना जाता है । ये घटना पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की है ।
दो हज़ार मुस्लिमों की भीड़ इकट्ठी होकर पैग़म्बेर मुहम्माद साहिब का जन्मदिन मना रही थी और फिर ग़ुस्से में भरकर ये भीड़ अहमदी मुस्लिमों की मस्जिद में घुस गयी । बिजनिस स्टैंडड में छपी ख़बर के अनुसार भीड़ ने पत्थर बाज़ी की ईंटें चलायी और पुलिस पर भी हमला कर दिया । जो स्थिति को कंट्रोल करने मौक़े पर पहुँची थी ।
अहमदी समुदाय के अनुसार एक पैग़म्बर दूसरे के बाद आता जाता है लेकिन उनका दूसरे मुस्लिमों के साथ मतभेद है क्यूँकि विशेषकर सुन्नी मुस्लिम ये मानते हैं कि पैग़म्बर मुहमद्द अंतिम पैग़म्बर थे और उनके बाद अल्लाह का दूत पृथ्वी पर कोई नहीं आया । बता दें कि 1974 में पाकिस्तान में अहमदी समुदाय के लोगों को ग़ैर मुस्लिम घोसित कर दिया गया था और 1984 में एक नया क़ानून बनाया गया जिसके अनुसार अहमदी समुदाय के लोगों को ख़ुद को मुस्लिम बताने और दूसरे मुस्लिमों की भावनाएँ आहत करने पर जेल में डाल देने का प्रावधान रख दिया गया था ।
ख़बर के अनुसार पुलिस ने बड़ा ज़ोर लगाया कि भीड़ अहमदी मस्जिद पर हमला ना करे पर पुलिस कामयाब ना हो सकी । चोआ सैदेन शाह एरिया के पुलिस अधिकारी ने बताया कि हम कुछ भी ना कर पाए और मुस्लिम भीड़ को रोक ना सके । बाद में और पुलिस फ़ोर्स के आने पर हालत पर क़ाबू पाया जा सका । सबसे बड़ा सवाल ये है कि पूरी दुनिया में इस्लामिक कट्टर लोगों की इसाईयों , हिन्दुओं , यहूदियों किसी से भी नहीं बनती और आपस में झगड़ा ही रहता है । वैसे ही इन कट्टर लोगों की शिया समुदाय और अहमदिया समुदाय के मुस्लिमों से भी नहीं बनती ।
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