
दरअसल बात यह है कि आपने कभी सुना है कि कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन के टोकन की इतनी लम्बी लाइन में आज तक हार्ट अटैक से कोई मर गया हो ? गणेश उत्सव के दौरान लाल बाग के राजा के नाम से प्रसिद्ध गणपति जी के दर्शन के लिए 10 घंटे से लगी लाइन में किसी की मौत हुई ? तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए लगी 12 से 18 घंटे की लगी लाइनों में किसी व्यक्ति की मौत की खबर कभी पढ़ी ?
शिरडी के दरबार में साईं बाबा के दर्शनों के लिए लाइन का तो आप सभी जानते ही होंगे . भारत इंग्लैंड के टेस्ट मैच में एंट्री टिकेट की लाइन का तो बहुत ही बुरा हाल है लेकिन कमाल की बात तो यह है कि इन जगह में लगी लाइनों में तो किसी की भी मरने की कोई खबर नही आती . बिग बाज़ार के बिग सेल में लगी 4 घंटो की लम्बी लाइन हो या वोट देने के लिए लगी हुई लाइन में किसी को हार्ट अटैक नही आता .
बता दें कि ऐसा नही है कि इन लाइनों में लगे लोगो की मृत्यु नही होती लेकिन इन लोगो की अलग अलग जगह लगी लाइनों में कई लोगो की मृत्यु होती है परन्तु उनकी मृत्यु पर मीडिया और विपक्ष ऐसे सवाल क्यों नही उठाता जैसे कि नोटबंदी pr उठा रहा है ? नोटबंदी की लाइनों में लगे लोगो की मौत का आखिर इतना बड़ा बवाल क्यों बनाया जा रहा है ?
ये नोटबंदी की लाइन में लगे लोगो का हार्ट अटैक से मरने का रहस्य जो विपक्ष के लोगो के समझ में आ गया है . हमारे तो समझ से बाहर की बात है .
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