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मानवता की दुहाई देने वाले कट्टरपंथी मुस्लिमो और वामपंथियों को सांप क्यों सूंघ गया !!


वर्ष 2013 के दिसम्बर महीने में शायद ही कोई ऐसा दिन होगा जब दिल्ली में इजराइल के फिलिस्तीन पर जवाबी कार्रवाई के विरोध में कोई धरना या प्रर्दशन न होता हो और इस पर देश के तमाम वामपंथी और मुस्लिम कंट्टरपंथी मानवता की दुहाई और इंसानियत का राग अलाप कर न केवल मातम मनाते बल्कि इजराइल के बर्बाद होने की भी दुआएं मांगते थे .
दरअसल इन दिनों रूस सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद के विरोधियों को निपटाने के लिए जगह जगह बमबारी कर रहा है जिसमे मासूम स्कूली बच्चें और महिलाएं बमों का निशाना बन रहे हैं . इसकी तस्वीरे सोशल मीडिया के जरिए बाहर आई हैं लेकिन फिलिस्तीन पर इजराल के हमलों का विरोध करने वाले इन वामपंथी और कंट्टरपंथियों को सांप सूंघ गया है . इसके पहले इनकी जुबान पर उस समय भी नही खुली जब 2014 में आतंकी संगठन आईएसआईएस ने इस्लाम के नाम पर बेकसूर लोगों का कत्लेआम किया था. आईएसआईएस की इस क्रूरता को जिसने भी देखा और सुना उसने उसकी निंदा की . लेकिन किसी भी वामपंथी और मुस्लिम कंट्टरपंथी ने एक बार भी इसका विरोध नही किया .


बता दें कि ये आईएसआईएस के विरोध में न तो कोई प्रदर्शन करेंगे और न ही कभी धरने देंगे क्योंकि इन्हें तो सिर्फ अमेरिका और इजराइल का विरोध करना है . रूस और चीन कितनी भी ज्यादती कर ले लेकिन ये अपने मुंह से विरोध का एक भी स्वर नही बोलेंगे . पड़ोसी देश म्यांमार में क्या कर रहा है यह तो इन्हें खूब पता है लेकिन पाकिस्तान बलूचिस्तान में क्या कर रहा है इनको इससे कोई मतलब नहीं है .
दरअसल इजराइल व अमेरिका का विरोध करने से इन मुस्लिम कंट्टरपंथियों को मुस्ल्मिों का समर्थन मिलता है लेकिन आईएसआईएस के विरोध पर शिया और सुन्नी मुस्लिम के विरोध का डर सताता है . इसी प्रकार रूस और चीन अमेरिका के विरोधी हैं तो चाहे वो जितना भी मानवता को दबा दे लेकिन उसपर इनकी जुबान नहीं खुलेगी . क्योंकि यदि ये रूस या चीन का विरोध करेंगे तो इनको डर है कि कहीं सच कहने पर ये अमेरिका और इजराइल के समर्थक न कहलाने लगे .
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