
बता दें कि ट्रम्प ने ऐप्पल, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों से इस मामले पर बात की है . दरअसल ट्विटर के सीईओ ने भी कहा कि वो ऐसे किसी भी कैंपेन का हिस्सा नहीं बनेंगे जिसमें किसी की निगरानी करने की बात हो . इस बारे में गूगल, उबर और ऐप्पल जैसी कंपनियों का भी कहना है कि वो भी ऐसा कुछ नहीं करेंगे . गूगल के प्रवक्ता ने कहा है कि उनके सामने ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं रखा गया है .
इस बीच एप्पल और आईबीएम का कहना है कि सभी लोगों के साथ एक जैसा ही व्यावहार होना चाहिए और वो ट्रम्प के इस ब्यान का समर्थन नहीं करते और आगे कहा उनकी कंपनी किसी धर्म के आधार पर किसी को बांटे जाने का समर्थन नहीं करती है . इसके अलावा उबर ,फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट ने भी इससे इनकार कर दिया है कि वो इस तरह के किसी प्रोजक्ट पर काम करेंगे .
दरअसल, चुनाव प्रचार के दौरान ट्रम्प मुसलमानों को लेकर बहुत कुछ कह चुके हैं . खासकर पाकिस्तान को तो ट्रम्प ने बहुत लताडा और कहा कि पाकिस्तान ही आतंकियों को पनाह देता है और वहीँ आतंकी तैयार किए जाते हैं . अब ट्रम्प दुनिया की बड़ी टेक कंपनियों से एक ऐसा डाटा बेस तैयार करने को कह रहे हैं. जिनमें मुस्लिमों की तमाम जानकारियां हों . देखा जाये तो ट्रम्प इस वक्त पूरी तैयारी में हैं कि अमेरिकी मुसलमानों के लिए एक डाटा बेस तैयार किया जाए .
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