
भारत में विन्सेन्ट लाकरा जैसे कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो गुमनामी की ज़िंदगी में अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। विन्सेन्ट अब छत्तीसगढ़ के राजगढ़ में एक आदिवासी गांव में अपने परिवार के साथ रहते हैं।
अपनी बदहाली पर विन्सेन्ट कहते हैं
"जब मैं टीम में था, तो सुनील दत्त मेरे दोस्त होने के साथ-साथ मेरे फैन भी थे। एक बार उन्होंने मुझसे मुंबई शिफ्ट होने को कहा था, पर परिवार को कैसे छोड़ता। मेरे पास एक पक्का घर तक नहीं है। गवर्मेंट महीने का सिर्फ पांच हजार देती है। इतने में 11 लोगों का गुजारा नहीं होता, इसलिए खेत में काम करते हैं"।
विन्सेन्ट लाकरा एक अच्छे खिलाड़ी के साथ-साथ एक बेहतर इंसान भी हैं। उन्हें सरकार से बस यही शिकायत है कि कम से कम राष्ट्रीय खेल को बढ़ावा तो दिया जाए।
0 comments: