
सेकुलरिज्म का जहर हिन्दू समाज में कैसे घोला जाता है, ये उसका बड़ा उदाहरण है, की यमुना को जमुना बता बता कर इसे मुसलमानो से जोड़ दिया गया, और हम देखते ही रह गए, हमारी नदी कब मजहबी हो गयी पता भी नहीं चला
अब आप सोचिये की यमुना का अरब और मुसलमानो से क्या लेना देना है, ये क्या इस्लाम की तरह अरब से आयी थी
इस्लाम तो बाहरी मजहब है, यमुना भारतीय नदी है, ये मजहबी कब से हुई
अब जब गंगा अपनी, जमुना अपनी तो ये "गंगा जमुनी तहजीब" बीच में कहाँ से आ गई ???
और जो लोग इस तहजीब की वकालत करते हैं
वो पहले तो ये बताओ इन दोनों नदियों में से मुसलमानों की नदी कौन सी है ??
और है तो किस अधिकार से ?
और अगर है तो क्या मुसलमान उन नदियो को भी माता समान पूजते हैं, वैसे इस्लाम में तो स्वयं के माता को पूजन भी हराम है, अल्लाह के अलावा कोई पूज्य नहीं
तो सीधे एक बड़ी नदी इनकी कैसे हो गई ??
गंगा जमुना सभ्यता है, संस्कृति है हम हिन्दुओ की, ये भारतीय संस्कृति है !!
कोई तहजीब नही !!!
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