देशभर में नवरात्रा धूमधाम और भक्तिभाव से मनाए जाते हैं। माता रानी का ध्यान लगाकर लोग इस दौरान अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने की प्रार्थना करते हैं। परन्तु यह बहुत कम लोगों को पता होगा कि स्वयं माता वैष्णो देवी ने भी नवरात्रा किए थे।
हिन्दू पुराणों के अनुसार दक्षिण भारत में रत्नाकर सागर के घर एक दैवीय बालिका का जन्म हुआ। इस बालिका का नाम त्रिकुटा रखा गया। जब वह 9 साल की थी तब उसने समुद्र किनारे तपस्या की। त्रिकुटा ने विष्णु भगवान के श्रीराम रूप का ध्यान लगाते हुए तपस्या की। त्रिकुटा की तपस्या के दौरान ही यहां भगवान राम सीता माता की खोज में आए।
राम की नजर वहां तपस्या कर रही त्रिकुटा पर पड़ी उन्होंने उससे वर मांगने के लिए कहा। त्रिकुटा ने श्रीराम से कहा कि उन्होंने पति रूप में उन्हे स्वीकार किया है। लेकिन भगवान राम ने त्रिकु टा से कहा कि इस अवतार में वह केवल सीता के प्रति ही निष्ठावान रहेंगे। हालांकि भगवान ने त्रिकुटा को आश्वासन दिया कि जब वह कलियुग में कल्कि के रूप में अवतार लेंगे तब उससे विवाह करेंगे। इसी के साथ उन्होंने त्रिकुटा से उत्तर भारत मे स्थित त्रिकुटा पर्वत श्रृंखला में स्थित गुफा में ध्यानलीन होने के लिए कहा।
इस ध्यानअवधि के दौरान त्रिकुटा ने रावण पर श्रीराम की विजय के लिए नवरात्रा मनाने का निर्णय लिया। इसीलिए आज भी लोग नवरात्रा के दौरान रामायण का पाठ करते हैं। त्रिकुटा के नवरात्रा व्रत से प्रसन्न होकर भगवान राम ने त्रिकुटा अमर रहने का आशीर्वाद देते हुए कहा कि समस्त संसार में उनकी पूजा माँ वैष्णो देवी के रूप में होगी। साथ ही जो भी उनके द्वार पर आक र दर्शन करेगा, उसकी हर मनोकामना भी पूरी होगी।
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