
# क्या भारत को वाकई कुलभूषण जाधव मामले में कांसुलर एक्सेस मिल जाएगा. ये सबसे बड़ा सवाल है, क्योंकि पाकिस्तान के भीतर का सच यही है कि कुलभूषण जाधव को राजनयिक मदद अगर पाकिस्तान देने देगा तो पाकिस्तान के भीतर की पोल पट्टी दुनिया के सामने आ जाएगी, और पाकिस्तान के भीतर का सच आतंक, सेना और आईएसआई से कैसे जुड़ा हुआ है इसके लिए चंद घटनाओं को याद कर लीजिए.
यह नही पढ़ा तो कुछ नही पढ़ा -
डेनियल पर्ल- 2002
26/11 (मुंबई हमला)- 2008
सरबजीत- 2013
मसूद अजहर- पठानकोट हमला
यह नही पढ़ा तो कुछ नही पढ़ा -
# अमेरिकी ट्विन टावर यानी 2001 में 9/11 का हमला, और पाकिस्तान ने किसी अमेरिकी एजेंसी को अपने देश में घुसने नहीं दिया, जबकि आखिर में लादेन पाकिस्तान के एबटाबाद में मिला. इसी तरह अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या आतंकवादियों ने 2002 में की. लेकिन डेनियल के अपहरण के बाद से लगातार पाकिस्तान ने कभी अमेरिकी एजेंसी को अपने यहां आने नहीं दिया.
यह नही पढ़ा तो कुछ नही पढ़ा -
# फिर याद कीजिए मुंबई हमला. 26/11 के हमले के बाद तो भारत ने पांच डोजियर पाकिस्तान को सौंपें. सबूतों की पूरी सूची ही पाकिस्तान को थमा दी. लेकिन लश्कर-ए-तोएबा को पाकिस्तान ने आतंकी संगठन नहीं माना. हाफिज सईद को आतंकवादी नहीं माना. भारत की किसी एजेंसी को जांच के लिए पाकिस्तान की जमीन पर घुसने नहीं दिया, फिर सरबजीत को लेकर एकतरफा जांच की. पाकिस्तान के ही मानवाधिकार संगठन ने सरबजीत को लेकर पाकिस्तानी सेना की संदेहास्पद भूमिका पर अंगुली उठाई तो भी किसी भारतीय एजेंसी को पाकिस्तान में पूछताछ की इजाजात नहीं दी गई और जेल में ही सरबजीत पर कैदियों का हमला कर हत्या कर दी.
यह नही पढ़ा तो कुछ नही पढ़ा -
# यही नहीं, दो बरस पहले पठानकोट हमले में तो पाकिस्तान की जांच टीम बकायदा ये कहकर भारत आई कि वह भी भारतीय टीम को पाकिस्तान आने की इजाजत देगी. लेकिन दो बरस बीत गए और 'आजतक' पाकिस्तान ने पठानकोट हमले की जांच के लिए भारतीय टीम को इजाजत नहीं दी.
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# यानी अगला सवाल कोई भी पूछ सकता है कि क्या वाकई पाकिस्तान जाधव के लिए भारतीय अधिकारियों को मिलने की इजाजत देगा. यकीनन ये अंसभव-सा है, क्योंकि पाकिस्तान के भीतर का सच यही है कि सत्ता तीन केन्द्रों में बंटी हुई है, जिसमें सेना और आईएसआई के सामने सबसे कमजोर चुनी हुई सरकार है और तीनों को अपने-अपने मकसद के लिए आतंकवादी या कट्टरपंथी संगठनों की जरूरत है और सत्ता के इसी चेक एंड बैलेंस में फंसे पाकिस्तान के भीतर कोई भी विदेशी अधिकारी अगर जांच के लिए जाएगा या फिर जाधव से मिलने ही कोई राजनयिक चला गया तो पाकिस्तान का कौन-सा सच दुनिया के सामने आ जाएगा.
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