
नोटबंदी के बाद अपराधों में बेहद कमी आयी है और बच्चों से जुड़े काफ़ी अपराध कम हो गये हैं , हालत इस क़दर सुधार गये हैं कि पिछले एक महीने से एक भी लड़की के उठाए जाने और बेच दिए जाने की ख़बर नहीं है , ये जानकारी राकेश सेंजेर ने दी जो बच्चों से जुड़े अपराधों और उनकी सहायता के लिए बचपन बचाओ आंदोलन के नाम से एक NGO चलाते हैं ।
उन्होंने बताया कि इस काले धंधे में आसाम , उतराखंड और दूर दराज़ के इलाक़ों से लड़कियों और बच्चियों को बहला फुसलाकर या अगवा करके SEX वर्कर बनाने के लिए बेच दिया जाता है । एक अनुमान के अनुसार एक लड़की पर क़रीब 2.5 लाख से 3 लाख का लेन देन हो जाता था जिसमें से लड़की या उसको लाने में इन्वोल्व लोगों को केवल बीस हज़ार मिलते हैं बाक़ी पैसा लोकल पुलिस , नेताओं के गुर्गों , स्थानीय गुंडों और लड़की को बेचने वालों की जेब में जाता है ।
ऐसा नहीं कि हर लड़की को सेक्स वर्कर ही बनाया जाता है बल्कि कुछ भी अमीर बड़ी उमर के लोगों के साथ शादी कर दी जाती है , कुछ की स्थिति इतनी भयावह हो जाती है कि उनके अंगों को बेच दिया जाता है । ये सारा काला कारोबार नक़द रुपए से जुड़ा था क्यूँकि ईसमे कोई बैंकिंग सिस्टम से जुड़ा हुआ लेन दें नहीं हो सकता है ।
नोटबंदी पर सवाल उठाने वाले ज़रा एक बार कल्पना करके देखें कि हर साल क़रीब बीस लाख से तीस लाख बच्चियों और लड़कियों का जीवन इससे बर्बाद होता था अगर उसमें 50 % भी कमी आयी तो ये कैसा निर्णय है क्या लोगों द्वारा कमाया जाने वाला काला धन इन जीते जागते इंसानों की ज़िंदगी से ज़्यादा बड़ा है या फिर विरोध की राजनीति इंसानी जीवन से बहुत बड़ी हो गयी है । इस अपराध में कमी आने के बाद की ख़ुशी और दर्द केवल वही समझ सकते हैं जिन्होंने किसी अपने को खोया है ।
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