
बीजेपी में रहते हुए ही सिद्धू ने अपना सियासी कद बहुत बड़ा किया है . पंजाब चुनाव का शोर होते ही सिद्धू ने एक रणनीति के तहत अचानक उन्होने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया . उसके बाद वो बीजेपी से आजाद हो गए . बता दें कि पहले कयास लगे कि वो पंजाब में आम आदमी पार्टी में शामिल होंगे लेकिन फिर बात नहीं बनी . सिद्धू के कारण आम आदमी पार्टी में कलेश शुरू हो गया पार्टी में कुछ का मानना था कि सिद्धू के साथ बातचीत करके पार्टी ने कमजोरी का सबूत दिया है . केजरीवाल का सिद्धू से मिलना और उसके बाद भी बात न बनना कई तरह के संकेत दे गया था . बताया जा रहा है कि सिद्धू की शर्तों को मानने के लिए केजरीवाल तैयार नहीं हुए . सूत्रों के अनुसार सिद्धू सीएम पद औऱ अपनी पत्नी के लिए सीट की मांग कर रहे थे लेकिन आपियो को यह मंजूर नही था . नतीजा यह हुआ कि सिद्धू और आप की बातचीत ठप हो गई .
अब बारी आई कांग्रेस की जहां सिद्धू को सियासी छांव मिल सकती थी . कांग्रेस भी पंजाब में कड़ी चुनौती पेश कर रही है . हाल ही में हुए सर्वे के अनुसार कांग्रेस अन्य दलों से आगे निकलती दिख रही है . लिहाजा सिद्धू और कांग्रेस में बात शुरू हुई लेकिन इनकी बात आगे बढ़े उस से पहले ही सिद्धू को लेकर प्रशांत किशोर और अमरिंदर सिंह के बीच ठन गई है और अब पंजाब कांग्रेस में दो फाड़ की आशंका जताई जा रही है . यहीं से यह सवाल उठने लगे कि क्या सिद्धू बीजेपी के लिए काम कर रहे है ?
दरअसल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अपनी चुनावी रणनीति के लिए जाने जाते हैं . जिस अंदाज में सिद्धू पंजाब में सारे सियासी दलों के साथ बात कर रहे हैं उससे ऐसे कयास लगाये जा रहे है कि वो अमित शाह के लिए काम कर रहे हैं . सोचने वाली बात है कि सिद्धू जिस भी पार्टी से बात करते हैं उस पार्टी मेें अंदरूनी घमासान शुरू हो जाता है . पहले आम आदमी पार्टी और फिर कांग्रेस को देखने से तो ऐसा ही लग रहा है .
अमित शाह की रणनीति का कमाल तो हम लोकसभा चुनाव में देख ही चुके हैं . क्या ये माना जाए कि सिद्धू का बीजेपी से निकलना और उसके बाद अन्य पार्टियों के साथ समझौते की कोशिश करना अमित शाह की रणनीति का एक हिस्सा है . पंजाब में बीजेपी अकाली दल के सहयोगी बनकर ही चुनाव लडती है क्युकि पंजाब में बीजेपी अभी तक कोई बड़ा कमाल नहीं दिखा पाई है . और अब अमित शाह के पास मौका है कि वो काग्रेस और आप में फूट डलवा कर बीजेपी के लिए राह आसान करें . कुल मिलाकर अगर सिद्धू बीजेपी के सीक्रेट एजेंट बनकर यह सारा काम कर रहे हैं तो ये सही माइनो में यह बीजेपी अध्यक्ष की मास्टर रणनीति साबित हो सकता है .
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