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कश्मीर तब आतंकवाद की आग मे झुलस रहा था और लाखों कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से खदेड़ दिया गया था। यहाँ तक की आतंकवादियों ने तब के गृहमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी का अपहरण भी कर लिया था।
अपनी आदत से मजबूर पकिस्तान नें उस सम्मलेन मे भी कश्मीर का राग अलापना शुरू कर दिया। उनका कहना था की कश्मीर पकिस्तान के गले की नस है और कश्मीर के बिना पकिस्तान अधूरा है इसीलिए जबतक वो कश्मीर को हिंदुस्तान से छीन नहीं लेंगे वो चुप नहीं बैठेंगे।
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इस सम्मलेन मे भारत के अलावा भारत के कई पडोसी देशों के प्रधानमन्त्री भी उपस्थित थे। नवाज शरीफ नें भाषण देने के बाद भारत के प्रधानमन्त्री से मिलने की इच्छा की और मिलने पहुच गए।
भारत के प्रधानमन्त्री चद्रशेखर नें कश्मीर का जिक्र करते हुए नवाज शरीफ से पूछा की आप की बड़ी इच्छा है की कश्मीर को कैसे भारत से छीन लिया जाये क्युकि वहा पे आपके सगे संबंधी रहते हैं और कश्मीर के बिना पकिस्तान अधूरा है।
प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि चलिए ठीक है हम आपको कश्मीर देने के लिए तैयार हैं। उसके बाद उन्होंने मुस्कराते हुए कहा कि मगर एक शर्त है। शर्त ये है की कश्मीर के साथ आपको भारत मे रह रहे सभी 12 करोड़ मुसलमानों को भी अपने देश में लेना पड़ेगा क्युकि क्या पता कल को उनके बिना भी आपका मन ना लगे।
इतना सुनना था की नवाज शरीफ की बोलती बंद हो गयी, उनके मुह से अल्फाज ही नहीं निकल रहे थे की क्या कहें। सकपकाते हुए उन्होंने कहा की अरे मेरा कहने का वो मतलब नहीं था। इसके बाद वो चुपचाप पतली गली से निकल लिए और उस सम्मेलन के दौरान उन्होंने दोबारा कश्मीर मुद्दे पर कोई बात ही नहीं की।
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