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मौत का अनुभव कैसा होता है, मर कर जी उठे लोगों ने बताया...

मौत कैसी होती है? किस्से कहानियों में हमने पढ़ा है, मौत हसीन होती है। मौत वो महबूबा है, जिससे एक न एक दिन मिलन हो ही जाता है। हम उसे चाहें भी तो टाल नहीं सकते। मौत तब आती है, जब आपके सभी दुखों का अंत हो चुका है। मौत हमें हमारे इस शरीर से मुक्ति दिलाकर एक नई शुरूआत की ओर ले जाती है। पता नहीं ये बातें किसी ने कब कही होंगी, या किस किस ने क्यों कही होंगी। 



पर कुछ लोगों के अनुभवों को जानकर तो यही लगने लगा है कि मौत हसीन होती है। एक सवाल-जवाब वेबसाइट क्योरा पर किसी ने एक सवाल पोस्ट किया। जिसमें उसने पूछा कि 'मौत का अनुभव कैसा होता है'। जिसके बाद तमाम लोगों ने अपने अनुभव गिनाए।

इनमें से जांच के बाद पता चला कि अधिकतर लोग मौत के बेहद करीब जाकर वापस आए हैं। कुछ कई दिनों तक कोमा में रह चुके थे, तो कईयों की सांसें टूटने के बाद जुड़ गई थी। कुछ लोगों का कहना है कि मौत बेहद शांति देने वाली होती है। हमें मौत से नहीं डरना चाहिए। 



तो कुछ का कहना है कि उन्होंने अपनी मौत के बाद जिस दुनिया में कदम रखा, वहां उन्हें वो परिजन मिले, जो उनसे पहले ही मौत को प्राप्त हो चुके थे।

मर कर जी उठे लोगों ने बताया, कैसा होता है मौत का अहसास!मौत कैसी होती है? किस्से कहानियों में हमने पढ़ा है, मौत हसीन होती है। मौत वो महबूबा है, जिससे एक न एक दिन मिलन हो ही जाता है। हम उसे चाहें भी तो टाल नहीं सकते...

वेरा मेगान नाम की लड़की ने मौत के बाद क्या महसूस किया, वो हम अपने पाठकों के सामने रख रहे हैं। मेगान नाम की युवा लड़की ने मौत के बारे में अपने अनुभव को कुछ यूं व्यक्त किया, 'मेरे लिए मौत आनंददायक, निर्मल, रोमांचक, शांति से भरी और आरामदायक रही। मेगान का कहना है कि वो शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती, कि उनका अनुभव कैसा था। मेरे पास शब्द नहीं है। बस इतना कह सकती हूं कि वो लम्हे मेरे लिए सबसे शानदार थे।'

मेगान जब 11 साल की थी, तो कार्बन मोनोऑक्साइड के जहर से उनकी मौत हो गई थी। ये गैस पानी के हीटर से निकली थी। वो पूर्व सोवियत संघ में रहा करती थी। मेगान कहती हैं कि जब उन्हें मौत को महसूस करना होता है, तो सो जाती हैं। खुद को भारी कपड़ों से ठक लेती हैं और मौत के आगोश में सो जाती हैं। ऐसा लगता है, जैसे मैं खुद को उन लम्हों के करीब पा रही होती हूं।

मेगान अपने मौत के अनुभव के बारे में बताती हैं। वो कहती हैं कि मेरे दिल की धड़कने बेहद तेज हो गई थी, मानो वो रेस कर रहा है। मेरा सिर चकरा रहा हो, मानो वो चकरघिन्नी बन गई हो। ऐसा लगता था, जैसे मेरे सर पर दो बड़े छेद हो गए हों, और मैं अभी मरने जा रही हूं। ये वो समय था, जब मैं मरने जा रही थी। ये मरने से पहले के इंसानी शरीर का तकादा होता है कि वो आने वाले सफर के बारे में दिमाग को बता दे, जो अगले ही पल शून्यता से घिरने वाला होता है। दिमाग को पता चला जाता है कि वो भारी मुसीबत में होता है। जिससे वो खुद ही खुद को बचा सकती है।

मेगान आगे बताती हैं कि वो मरने वाली थी, और कोई भी उन्हें सुन नहीं रहा था। अचानक मुझे लगा कि मैं रंगों में घिर रही हूं। अजीब से दृश्य मेरी आंखों के सामने तैरने लगे। और यहीं से मेरी मौत के बाद का सफर तय हुआ। मेगान अपने शरीर को छोड़ चुकी थी। वो कहती हैं कि मुझे सबसे पहले गीले बादल दिखे। कुछ ऐसा दिखा, जैसे हम टेलीस्कोप से अंतरिक्ष को निहार रहे हों। कई तरह के रंग एक से दूसरे में समाते जा रहे थे। कोई शोर नहीं था। कोई आवाज नहीं थी। ये सब मेरे आसपास हो रहा था और मैं इसे सिर्फ महसूस कर पा रही थी। ये सब मुझे बेहद खूबसूरत लगा। 

ऐसे लगा, जैसे किसी ने मुझे ऊपर खींच लिया हो। मेरा पूरा शरीर फेफड़े के माफिक लगने लगा। अचानक पूरा शरीर गायब हो गया। और तभी मुझे महसूस हुआ कि मैं अंतरिक्ष में हूं। अचानक रोशनी दिखने लगी। मुझे किसी तरह का आभास हो रहा था, कि मुझे कोई खींच रहा है। मैं खुद को देखने की कोशिश कर रही थी, पर मैं वहां थी ही नहीं। वो पहला लम्हा था, जब मैं चौंकी थी। पर मैं डरी नहीं। मुझे अकेलापन भी नहीं लगा। वहां और भी थे, जिन्हें मैं देख नहीं पा रही थी। पर वो थे, क्योंकि वो मुझसे बात कर सकते थे। वहां मेरा स्वागत किया जा रहा था। और तभी सबकुछ रुक गया। मानों सबकुछ एक दूसरे में समा गया हो। सबकुछ शून्यता से भर उठा।

मेगान ने आगे कहा, 'आखिरी बात जो मुझे याद है वो ये कि मुझे अचानक ही कहीं ढकेल दिया गया हो। ये चौंकाने वाला था, पर मैं खुश थी। और तभी शायद मैं वहां से विदा की जा चुकी थी। धरती पर मेरी रुकी सांसे चलने लगी थी, क्योंकि मेरे पिता ने एंबुलेंस बुलाकर मुझे अस्पताल पहुंचाया पर मेरे पिता भी भौचक्क थे। डॉक्टरों ने मेरे पिता से कहा कि आपने बच्ची को लाने में देर कर दी।

इसकी मौत हुए करीब 15 से 45 मिनट बीत चुके हैं। पर मेरे पिता नहीं मानें। वो डॉक्टरों के सामने गिड़गिड़ाए। मेरे पिता बोले, 'प्लीज, मेरी बच्ची को बचा लीजिए। मेरी बच्ची को वापस लाइए' और तभी मेरी सांसे चलने लगी। इस 15 से 45 मिनट के बीच का सफर मैं आप सबके साथ साझा कर चुकी हूं। वो मेरे लिए अनमोल लम्हे थे, जिन्हें सिर्फ मैंने महसूस किया।'

वेरा की ये कहानी 15 हजार से अधिक लोगों ने पढ़े और कमेंट भी दिए। वेरा मेगान के अलावा भी कई लोगों ने अपनी कहानियां साझा की। बारबरा नाम की महिला ने भी अपनी मौत के बाद का अनुभव साझा किया। वो कम से कम 3 बार मौत के मुंह में जाकर वापस आ चुकी हैं। उनका दिल कई बार काम करना बंद कर चुका है। बारबरा ने कहा कि मौत के बाद लगा कि मैं मूर्छित हो रही हूं। इसके बाद लगा कि मैं बेहद आराम में हूं। एकदम शांत। मुझे सांस लेने की कोई जरूरत नहीं थी। कोई दर्द मुझे नहीं हो रहा था। पूरी तरह से शांति थी। और अंधेरा। और ये अनुभव मुझे कम से कम 3 बार मिल चुका है।
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