गर्भावस्था के इन नौ महीनों में कुछ खतरे भी होते हैं जिनके बारेमें गर्भवती महिला को जानना बहुत जरूरी है, जिससे वह गर्भपात की संभावना को रोक सके। गर्भ धारण करने से लेकर प्रसव होने तक उन्हें अपना खयाल तरह से रखना चाहिए गर्भधारण के बाद बच्चे का विकास होना शुरू हो जाता है।
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@ थकान :
सो कर उठने के बाद कमजोरी और थकान महसूस करना Pregnancy problems में सबसे आम है ये समस्या पहले तीन महीने के दौरान ज्यादा महसूस होती है| हार्मोन में हो रहे परिवर्तनों के कारण ऐसा होता है| इस से घबराने की जरुरत नहीं है| गर्भावस्था के अनुरूप स्वस्थ आहार लेने और नियमित दिनचर्या का पालन करके आप इन समस्याओ को कम कर सकती है
@ कमर दर्द :
तीसरे महीने तक कमर दर्द बढ़ने लगता है, क्योंकि शरीर का तनाव और बच्चे का भार बढ़ता जाता है।
कुछ महिलाओं का कमर दर्द डिलीवरी के बाद खत्म हो जाता है , लेकिन जो महिलाऐं ध्यान नहीं रखती है , उनमें यह समस्या हमेशा के लिए घर कर जाती है। गर्भावस्था के दौरान ना तो भारी सामान उठाए और न ही सरकाए ! कामकाजी महिलाए ना तो सारा दिन सीट पर बैठी रहे और न ही देर तक खड़ी रहें। कुछ देर उठ कर टहल लें। जब उठे, तो शरीर को स्ट्रेच करें। नींद में कमी होना- गर्भावस्था के दौरान विभिन्न शारीरिक बदलावों के कारन अनिंद्रा की समस्या हो जाती है इस से निपटने के लिए चाय, कॉफ़ी, कैफीन, अल्कोहल और वसा युक्त खाने से परहेज रखना चाहिए |
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@ संक्रमण समस्या :
यदि वेजाइना में इचिंग की समस्या है, खुजली परेशान कर रही है, तो यूरिन टेस्ट के द्वारा इन्फेक्शन की जांच कराएं। अगर कुछ ना निकले, समझें कि ऐसा वेजाइनल पी एच लेवल में आ रहे बदलावों की वजह से रहा है। यह सामान्य बात है। इस खारिश से छुटकारा पाने के लिए बेकिंग सोडा में पानी मिला कर पेस्ट बनाएं और प्रभावित हिस्से में लगाएं। सफाई का पूरा ध्यान रखें। ख्याल रखें कि वेजाइनल एरिया हमेशा साफ और सूखा रहे। कॉटन की ढीली पैंटी पहनें। गर्भावस्था के दौरान योनि से स्राव की समस्या से लगभग हर स्त्री जूझती है यह इसलिए होता है क्योंकि गर्भाशय ग्रीवा और योनि की त्वचा बहुत नरम हो जाती है इसलिए डिस्चार्ज बढ़कर संक्रमण को योनि से गर्भ की और बढ़ने से रोकता है |
@ गर्भावस्था में मुँहासे :
इनसे बचने के लिए आप कुछ केमिकल फ्री कास्मेटिक का उपयोग करे जैसे Tea Tree Bar Soap और मुँहासे के लिए कोई भी हर्बल लोशन |
@ शिशु की हलचल :
36 से 40 सप्ताह के गर्भ में बच्चे की गतिविधिया और तेज हो जाती है! वह पेट में घूमना और लातें चलाना शुरू कर देता है। हर गर्भवती स्त्री जानती है कि दिनभर में कब गतिविधियां तेज हो जाती हैं। अपने गर्भस्थ शिशु के मूवमेंट के तरीके वह जानती है। अगर उसे महसूस हो कि उसका मूवमेंट काफी कम है या बिलकुल नहीं हो रहा है, तो यह समय निश्चित रूप से डॉक्टर को बुलाने का है। वे हॉस्पिटल जाने की सलाह दे सकते हैं, ताकि वह डॉक्टर की निगरानी में रहे और जरुरत पड़ने पर आवश्यक कदम उठाए जाएं।
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