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द्रौपदी का एक श्राप जिसका असर आज भी दीखता है !!


आजा हम आपको एक ऐसे श्राप के बारे में बताएगें जो 5000 साल पुराना श्राप है. एक ऐसा श्राप जिसने बर्बादी की नईं इबारत लिख दी है. एक ऐसा श्राप जो कभी विकास नहीं होने देता. हम बात कर रहे है महाभारत काल के उस श्राप की जिसका असर आजतक कायम है. आखिर क्या है इसका रहस्य. महाभारत के शहर को इस श्राप ने पीछे छोड़ दिया. यह श्राप महाभारत के शहर के लिए अभिशाप बन गया है. हम बात कर रहे है महाभारत के शहर हस्तिनापुर की. हस्तिनापुर शहर द्रौपदी के श्राप के कारण आजतक आगे नहीं बढ़ा है. यह श्राप इस शहर के लिए नासूर बनता जा रहा है. पांडवों की राजधानी हस्तिनापुर वीरान पड़ी है. रोजगार ओए उद्योग से कोसों दूर है हस्तिनापुर. 

इस शहर में जहां तक नजर जायेंगी सिर्फ और सिर्फ वीरानी ही नजर आएगी. सैकड़ों साल से ये शहर बदहाली की मार झेल रहा है. यहाँ विकास के लिए नाजाने क्या क्या किया गया लेकिन इस शहर पर लगा है एक ऐसा श्राप जिसकी वजह से ये शहर आगे नहीं बढ़ पा रहा है. चीरहरण के समय द्रौपदी ने हस्तिनापुर को श्राप दिया था कि जहाँ नारी का सम्मान नहीं होता वो जगह पिछड़ जाती है. महाभारत काल में श्रीकृष्ण ने द्रौपदी के सम्मान की रक्षा की थी. जवाहरलाल नेहरु ने 1949 में हस्तिनापुर को बड़ा पर्यटन स्थल बनाने की कवायद जारी की थी और वो कवायद आजतक जारी है. द्रौपदी के श्राप से हस्तिनापुर की रफ़्तार पर लगा ब्रेक. 




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