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आखिर क्यों करना पड़ा हनुमानजी को अपने ही पुत्र से युद्ध...

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# ये तो सब जानते हैं कि हनुमान राम के परम भक्त थे और राम उनके आराध्य. लेकिन वाल्मीकि की रामायण में हनुमान के बारे में किये गये कुछ ज़िक्र ऐसे हैं जो अब तक ज्यादातर लोगों को नहीं पता है. वाल्मीकि-रामायण में वर्णित है कि लंका युद्ध के दौरान विभीषण की सलाह पर राम और लभ्मण की सुरक्षा की कमान स्वयं हनुमान ने अपने हाथों में ले ली थी. लेकिन हनुमान को चकमा देकर मायावी अहिरावण अपनी शक्तियों के बल पर उन्हें उनकी कुटिया से ले जाने में सफल रहा. वह राम और लक्ष्मण को पाताल लोक लेकर चला गया. वहाँ उसने उन दोनों को बंदी बना लिया और उनकी बलि देने की तैयारी करने लगा.
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# इधर हनुमान उनकी रक्षा के लिए अहिरावण के पीछे-पीछे पाताल लोक तक चले आये. पाताल लोक में घुसते ही उनका सामना एक ऐसे प्राणी से हुआ जो दिखने में आधा वानर था और आधा मकड़ा.  उत्सुकतावश हनुमान ने उस विचित्र से दिखने वाले प्राणी से उसके बारे में पूछा. उसने अपना परिचय देते हुए कहा कि वह हनुमान का बेटा है और उसका नाम मकड़ध्वज है.# हनुमान उसके इस जवाब से चकित रह गये. उन्होंने मकड़ध्वज से कहा कि, ‘हनुमान तो मैं ही हूँ. लेकिन तुम मेरे बेटे कैसे हो सकते हो क्योंकि मैं तो जन्म से ही अविवाहित हूँ.’  इस पर मकड़ध्वज ने हनुमान को अपने जन्म की कहानी बताई कि कैसे लंका-दहन के बाद पूँछ में लगी आग को समुद्र के पानी से बुझाते वक्त उसका जन्म हुआ.

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# इस पर हनुमान ने उसकी बातों की सच्चाई जानने के लिए अपने आराध्य का स्मरण किया. तब जाकर उन्हें उसकी बातों की सत्यता पर विश्वास हुआ. तब मकड़ध्वज ने अपने पिता हनुमान से उनका आशीर्वाद माँगा, लेकिन साथ ही उसने कहा कि वह अपने राजा अहिरावण को धोखा नहीं दे सकता इसलिये उन्हें उससे युद्ध करना ही होगा. हनुमान ने अपने पुत्र को आशीर्वाद देते हुए उससे द्वंद-युद्ध किया. इस युद्ध में मकड़ध्वज को परास्त कर हनुमान ने उसे बंदी बना लिया.


# तत्पश्चात वो अपने आराध्य राम और उनके भाई लक्ष्मण को अहिरावण के चंगुल से बचाने निकल पड़े. वहाँ अहिरावण का वध करने के बाद वो सब रावण से युद्ध करने के लिए निकलने लगे तो राम ने मकड़ध्वज को पाताल लोक का राजा बना देने की सलाह हनुमान को दी. अपने आराध्य की सलाह को मानते हुए हनुमान ने अपने पुत्र मकड़ध्वज को पाताल लोक का राजा घोषित कर दिया ! 
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