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पटौदी के लोगों को ‘तैमूर’ नहीं सिर्फ ‘पटौदी’ नाम से है मतलब, जानिए नवाब खानदान का इतिहास

पटौदी के लोगों को ‘तैमूर’ नहीं सिर्फ ‘पटौदी’ नाम से है मतलब, जानिए नवाब खानदान का इतिहास
फोटो: गैटी इमेजेज
नई दिल्‍ली। बॉलीवुड अभिनेत्री और नवाब खानदान की बहू करीना कपूर खान के बच्चे का नाम ‘तैमूर अली खान’ रखने पर भले ही कुछ लोग सवाल उठा रहे हों लेकिन पटौदी के लोगों को इस विवाद में ज्‍यादा दिलचस्‍पी नहीं। उन्‍हें तो बस नाम के आगे पटौदी जुड़ने भर से मतलब है। सैफ अली खान पटौदी रियासत के 10वें नवाब हैं। पटौदी गुरुग्राम जिले के अधीन आने वाला कस्‍बा है। रियासत का सिस्‍टम खत्‍म हो गया है फिर भी सैफ के परिवार वालों ने उन्‍हें नवाब का तमगा दिया हुआ है।
मंगलवार को करीना का मां बनना जितना सोशल मीडिया पर छाया रहा उतना ही तैमूर अली खान का नाम भी। तैमूर इस दुनिया में आते ही सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड में शुमार हो गया है। पटौदी निवासी राधेश्‍याम मक्‍कड़ कहते हैं उन्‍हें तो सिर्फ इस बात से सरोकार है कि इस खानदान में जो भी नया सदस्‍य आया है उसके नाम के आगे पटौदी लिखा हो। नया सदस्‍य पटौदी आएगा तो हम उसका स्‍वागत करेंगे। अब तक के नवाबों के नाम से भी हमने मतलब नहीं रखा। सिर्फ उन्‍हें उनके काम से जानते हैं, इसी तरह की राय हम सैफ के बेटे तैमूर के बारे में भी रखते हैं।
पटौदी में घूमते सैफ-करीनापटौदी में घूमते सैफ-करीना
श्री रामलीला कमेटी पटौदी, (दिन वाली) के चेयरमैन मक्‍कड़ कहते हैं कि पटौदी के पांचवें नवाब ने यहां पर रामलीला शुरू करवाई थी। इसे हम हिंदू-मुस्‍लिम एकता के प्रतीक के तौर पर भी देखते हैं। पिछले दशहरे पर भी नवाब परिवार से रामलीला के लिए दान आया था। जब परिवार ऐसा है तो फिर हमें क्‍या मतलब तैमूर नाम से। हमें काम और पटौदी नाम से मतलब है। पटौदी रियासत की स्थापना सन् 1804 में हुई थी। तब से अब तक यहां के लोगों का नवाब परिवारों से वास्‍ता रहा है। वहीं, पटौदी में होटल संचालक योगेश्‍वर कहते हैं नाम तो जमा नहीं, पर जिसका बच्‍चा है उसे ही नाम रखने का अधिकार है वह कुछ भी रख दे। पटौदी के लोग तो सिर्फ यह चाहते हैं कि इस बच्‍चे के नाम के आगे पटौदी लिखा हो। वह आगे चलकर अच्‍छा काम करे।
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पटौदी के किसी नवाब के नाम में नहीं है तैमूर का जिक्र
-अब तक पटौदी के नवाब रहे किसी के भी नाम में तैमूर का जिक्र नहीं है। मिले रिकार्ड के मुताबिक अभिनेता सैफ अली खान के पूर्वज सलामत खान अफगानिस्तान से भारत आए थे। बताते हैं कि सलामत के पोते अल्फ खान को राजस्थान और दिल्ली में मुगलों ने तोहफे के रूप में जमीनें दी थीं। जिसमें पटौदी रियासत की स्‍थापना हुई। पहली बार ऐसा हुआ है कि इस परिवार के किसी सदस्‍य के नाम पर विवाद खड़ा हुआ है।
Nawab Mansur Ali Khan Pataudi during the final of Bhopal Pataudi Polo Trophy 2006 at the Jaipur Polo Ground in New Delhi on Sunday, 22nd October 2006.
ये रहे हैं पटौदी के नवाब:
पहले नवाब फैज तलब खान थे। जबकि दूसरे नवाब अकबर अली सिद्दकी खान बने। इसी तरह तीसरे मोहम्मद अली ताकी सिद्दकी खान, चौथे मोहम्मद मोख्तार सिद्दकी खान, पांचवें मोहम्मद मुमताज सिद्दकी खान, छठे मोहम्मद मुजफ्फर सिद्दकी खान और सातवें नवाब मोहम्मद इब्राहिम सिद्दकी खान रहे। इफ्तिखार अली हुसैन सिद्दिकी, पटौदी रियासत के आठवें नवाब बने। वे उस वक्‍त के मशहूर क्रिकेटर थे। मंसूर अली उर्फ टाइगर 9वें नवाब रहे। उन्‍हें तो लोग नवाब पटौदी के नाम से ही जानते रहे।
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नवाब को नहीं है कानूनी मान्‍यता
22 सितंबर 2011 को नवाब पटौदी की मौत के बाद सैफ अली पटौदी के नवाब की पदवी नहीं लेना चाहते थे, क्‍योंकि सरकार इस पद को नहीं मानती। लेकिन इब्राहिम पैलेस में जब 52 गांवों के सरपंचों ने उनके सिर पर पगड़ी बांधी तो उन्‍हें लोगों की भावनाओं की कद्र करनी पड़ी।
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